नई दिल्ली । चुनावी रेवड़ियों पर बहस के बीच निर्वाचन आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल जनता को बताएं कि चुनावों के दौरान किए गए वादे कैसे पूरे करेंगे? आयोग ने इसके लिए आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इससे राजनीतिक दलों को चुनावी वादों की वित्तीय व्यावहारिकता पर मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने के लिए कहा जा सकेगा। निर्वाचन आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को लिखे पत्र में 19 अक्टूबर तक प्रस्ताव पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को सूचित करने के लिए उठाया कदम
आयोग ने कहा, खोखले वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे। हम चुनावी वादों पर पूर्ण जानकारी नहीं देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकते हैं। पत्र के अनुसार, देश में अक्सर चुनाव होते रहते हैं। इससे राजनीतिक दलों के पास यह अवसर होता है कि वे एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धा में बढ़-चढ़कर चुनावी वादे कर सकें। खासतौर से कई चरणों में होने वाले चुनावों में ऐसा बहुत होता है।
इस दौरान राजनीतिक दल कभी नहीं बताते हैं कि इन वादों को पूरा करने का आर्थिक परिणाम क्या होगा? निर्वाचन आयोग ने यह पत्र ऐसे समय लिखा है, जब कुछ महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘रेवड़ी’ संस्कृति की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट किया था। उनका इशारा राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों के दौरान मुफ्त उपहारों और सुविधाओं की घोषणाओं की ओर था। प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद भाजपा और विपक्षी दलों में जमकर बयानबाजी हुई। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।