छत्तीसगढ़

RSS के खिलाफ फैलाया गया दुष्प्रचार, हमसे अल्पसंख्यकों को खतरा नहीं, विजयादशमी कार्यक्रम में बोले मोहन भागवत

 नईदिल्ली I विजयादशमी के मौके पर सालाना कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि जनसंख्या नीति सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा. जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है. हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है. इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो. आरएसएस के कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित पर्वतारोही संतोष यादव विशेष अतिथि थीं.  

संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस को बदनाम करने की कई कोशिशें की गईं. संघ के खिलाफ दुष्प्रचार द्वेष और स्वार्थ पर आधारित था, जिसका अब कोई प्रभाव नहीं रह गया है. वह इसलिए क्योंकि संघ की भौगौलिक और सामाजिक पहुंच काफी बढ़ गई है. भागवत ने कहा, कुछ लोग डरा-धमका रहे हैं कि हमारी वजह से अल्पसंख्यकों को खतरा है. यह न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का. संघ ने भाईचारे और शांति की बात कही है.

‘मुस्लिम समाज का ऐसा हो स्वभाव’

सरसंघचालक ने कहा, उदयपुर की घटना के बाद मुस्लिम समाज में से भी कुछ अहम लोगों ने अपना विरोध जताया था. यह अपवाद नहीं बल्कि मुस्लिम समाज का स्वभाव बनना चाहिए. हिंदू समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसी घटना घटने पर हिंदू पर आरोप लगे तो भी मुखरता से विरोध करता है.

दशहरा कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा, रोजगार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सरकारी. अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सरकारी और प्राइवेट में मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती हैं. बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है.

‘शक्ति शांति का आधार है’

अपने भाषण में संघ प्रमुख ने महिलाओं के योगदान पर भी बात की. उन्होंने कहा, जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है. शक्ति शांति का आधार है. 

उन्होंने कहा, हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने और उन्हें अपने फैसले खुद लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की जरूरत है. नई शिक्षा नीति पर भागवत ने कहा कि इसे लोगों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करनी चाहिए.