नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के चार कफ और कोल्ड सिरप को जानलेवा घोषित किया है। WHO के इस फैसले पर स्टैंडिंग नेशनल कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ वाईके गुप्ता ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि भारत में लोगों को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि इस दवा का लाइसेंस केवल निर्यात के लिए था। भारत में बेचे जाने वाले खांसी के सिरप में यह संभावना नहीं है।
स्टैंडिंग नेशनल कमेटी के उपाध्यक्ष बोले
भारत की मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा गाम्बिया में कथित तौर पर कफ सिरप से 66 बच्चों की मृत्यु पर स्टैंडिंग नेशनल कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ वाईके गुप्ता ने कहा कि WHO को पहली मृत्यु के बाद हमें अवगत कराया जाना चाहिए था, हो सकता है उन्हें इसकी जांच में समय लगा हो।
नुकसान के कारण के बारे में जुटा रहे जानकारी- डॉ वाईके गुप्ता
स्टैंडिंग नेशनल कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ वाईके गुप्ता ने कहा कि हम दवाओं से होने वाले नुकसान का कारण ढूंढ रहे हैं, जोकि इस मामले में हमें अभी तक नहीं मिला है। इसकी जांच की जा रही है। हमारे देश में उत्पादित दवाईंया अपनी गुणवत्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय देशों में जानी जाती है।
भारतीय दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाना गलत
साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद आप यह नहीं कह सकते कि भारत में उत्पादित दवाएं सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस घटना के कारण भारतीय दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाना गलत है। हमारा नियामक संस्थाएं मजबूत है और हम ऐसी चीजों के लिए जीरो टॉलरेंस रखते हैं।
क्या है मामला
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत के चार कफ और कोल्ड सिरप को जानलेवा बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रास घेबरेसस ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारतीय कंपनी मेडिन फार्मा की चार कफ सिरप को लेकर जांच जारी है। इस खराब उत्पाद के कारण खराब सेहत की शिकायत अब तक केवल गाम्बिया में ही मिली है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के लिए भी इसी भारतीय कंपनी को जिम्मेदार ठहराया गया है।