नईदिल्ली I भारत ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस के “अवैध” कब्जे की निंदा करने संबंधी मसौदे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में गुप्त मतदान कराने की रूस की मांग के खिलाफ मतदान किया. भारत सहित 100 से अधिक देशों ने सार्वजनिक मतदान के लिए मतदान किया है. जबकि चीन और ईरान ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि 13 देशों ने गुप्त मतदान के पक्ष में हिस्सा लिया.
193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को अल्बानिया के उस प्रस्ताव पर मतदान किया, जिसमें रूस के “अवैध तथाकथित जनमत संग्रह” और दोनेस्तक, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया पर “अवैध रूप से कब्जा करने के प्रयास” की निंदा करने संबंधी मसौदा प्रस्ताव पर सार्वजनिक मतदान की मांग की गई थी. वहीं रूस ने इस प्रस्ताव पर गुप्त मतदान की मांग की थी.
महज 13 देश ही रहे सपोर्ट में
भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के 107 सदस्य देशों ने रिकॉर्ड वोट (सार्वजिनक मतदान) के पक्ष में मतदान किया, जिससे रूस की यह मांग खारिज हो गई. केवल 13 देशों ने गुप्त मतदान के पक्ष में मतदान किया, जबकि 39 देश मतदान में शामिल नहीं हुए. चीन ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
रिकॉर्ड वोट के प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद, रूस ने महासभा के अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ अपील की. रूस की अपील पर एक रिकॉर्ड वोट हुआ और भारत सहित 100 देशों ने रूस की अपील के खिलाफ मतदान किया. रूस ने इसके बाद अल्बानिया द्वारा रिकॉर्ड वोट के वास्ते पेश किए प्रस्ताव को अपनाने के निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की.
हालांकि महासभा ने भारत सहित 104 देशों द्वारा इसके खिलाफ मतदान करने के बाद पुनर्विचार नहीं करने का फैसला किया. इस प्रस्ताव के पक्ष में 16 देशों ने मतदान किया जबकि 34 देशों ने इसमें भाग नहीं लिया.
रूसी हमले में 14 लोगों की मौत
संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र “एक धोखाधड़ी का गवाह बना, जिसमें दुर्भाग्य से महासभा के अध्यक्ष की एक अहम भूमिका रही.”
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कल सोमवार को इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की कि क्या रूस को यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जे की कार्रवाई को वापस लेने को कहा जाए या नहीं. यह चर्चा ऐसे समय में शुरू की गई, जब रूस ने सोमवार को यूक्रेन की राजधानी कीव समेत उसके कई शहरों को मिसाइल हमलों के जरिए निशाना बनाया था.
रूस की ओर से किए गए इन हमलों में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए. रूस के राजदूत ने इस चर्चा को रूस विरोधी नजरिए को बढ़ावा देने का एकतरफा प्रयास बताया और इस बहस की निंदा की.