नईदिल्ली I हिजाब विवाद पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था इस मामले में आज सुनवाई पूरी हो जाएगी. मगर सुप्रीम कोर्ट के एक जज का जजमेंट फेवर में आया है और हाईकोर्ट का जो जजमेंट था वो बिल्कुल गलत था. उसमें कुरानी कमेंट्री का मिसयूज किया गया है. ऐसा नहीं होना चाहिए था.
ओवैसी ने आगे कहा कि कर्नाटक की मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहन रही हैं, वो इसलिए पहन रही हैं क्योंकि कुरान में उसका जिक्र है. अल्लाह ने उसे हिजाब पहने का हुकुम दिया है. वहीं, इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा. ओवैसी ने कहा कि बीजेपी ने हिजाब को गैर जरूरी मुद्दा बनाया. इसको बैन किया. यही मेरी राय है. उन्होंने आगे कहा कि जब जजमेंट पूरा अपलोड हो जाएगा. तब मैं इस पर तफ्सील से बात करूंगा.
SC ने सुनाया खंडित फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया. इस संवेदनशील मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया, ताकि एक वृहद पीठ का गठन किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा था. वहीं, जस्टिस सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया और कहा कि यह अंतत: पसंद का मामला है. उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध हटाने से इनकार करते हुए कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.
जस्टिस धूलिया ने कही ये बात
जस्टिस धूलिया ने कहा, ‘मेरे निर्णय में मुख्य रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि मेरी राय में अनिवार्य धार्मिक प्रथाओं की यह पूरी अवधारणा विवाद के निस्तारण के लिए आवश्यक नहीं थी. उन्होंने कहा कि उनका ध्यान बालिकाओं, खासकर ग्रामीण इलाकों में रह रही बच्चियों की शिक्षा पर केंद्रित है. उन्होंने पूछा, ‘क्या हम उनका जीवन बेहतर बना रहे हैं.’ जस्टिस धूलिया ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के पांच फरवरी, 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
22 सितंबर को फैसला रखा गया था सुरक्षित
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च को राज्य के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. उच्चतम न्यायालय में 10 दिन तक चली बहस के बाद शीर्ष अदालत ने 22 सितंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.