नईदिल्ली I सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि एक जज का काम लोगों को खुश करना नहीं है। उसे यह भूमिका इसलिए नहीं सौंपी जाती है। न्यायमूर्ति गुप्ता इसी महीने 16 अक्तूबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
शीर्ष अदालत के न्यायधीश के रूप में उनके अंतिम कार्य दिवस पर सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यह आयोजन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा किया गया था।
इस मौके पर उन्होंने कहा, एक न्यायाधीश लोगों को खुश नहीं कर सकता। यह उन्हें सौंपी गई वह भूमिका नहीं है जो सार्वजनिक जीवन में अन्य लोगों को सौंपी जाती है। लोगों को खुश करने के इरादे से कोई इस भूमिका का निर्वहन नहीं कर सकता।
‘मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, मुझे कोई पछतावा नहीं’
न्यायमूर्ति गुप्ता ने आगे कहा, “मैं अदालत में कठोर और कुंद था, लेकिन मेरी समझ के अनुसार जो भी आदेश दिए गए थे, उन्हें पारित कर दिया गया। उन्होंने आगे कहा, मेरी सबसे जरूरी आंतरिक संतुष्टि ये है कि मैंने इस संस्थान को अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। मुझे कोई पछतावा नहीं है।”
‘कभी-कभी अपना आपा खो देता हूं..’
उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन अत्यंत विनम्रता और ईमानदारी के साथ करने की कोशिश की है। हालांकि कभी-कभी मैं अपना आपा खो देता हूं। कोई भी पूर्ण नहीं है। मैं पूर्णता का कोई दावा नहीं कर सकता। जो भी गलती मैंने की हैं, वह अनजाने में हुई हैं। मैं अपने दिन में बहुत संतोष के साथ सेवानिवृत्त हो रहा हूं।”
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता संस्था की महान संपत्ति : सीजेआई
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित ने न्यायमूर्ति गुप्ता को संस्था की महान संपत्ति करार दिया। न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि वह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके सामने कुछ भी प्रस्तुत किया जाता है, उसे सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए हर तह में जाने की क्षमता रखते हैं।
सीजेआई ने ‘पूरी तरह से डिजिटल’ होने के लिए न्यायमूर्ति गुप्ता की प्रशंसा की और कहा कि उनकी अदालत ने हमेशा पेपरलेस होने के लिए प्रोत्साहित किया। वह कानून सहायता के काम से जुड़े थे। उन्होंने जो कुछ भी किया है, अपनी पूरी क्षमता से किया है।