रायपुर। छत्तीसगढ़ से मानसून की विदाई की शुरुआत हो चुकी है। पिछले चार दिनों से उत्तरकाशी, नजीबाबाद, आगरा, ग्वालियर, रतलाम और भरूच तक स्थिर मानसून ने तेजी से वापसी की राह पकड़ी है। अब इसकी वापसी रेखा छत्तीसगढ़ में पहुंच चुकी है। सामान्य तौर पर 15 अक्टूबर तक मानसून को बस्तर का दक्षिणी सीमा भी पार कर जाना था। लेकिन 14 अक्टूबर को वह पेंड्रा रोड तक ही पहुंच पाई। अगले 10 दिनों में इसे प्रदेश से हट जाने की संभावना है।
मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और गुजरात के शेष हिस्सों से वापस लौट गया है। मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्से और बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से वह वापस हटा है। मानसून की वापसी रेखा अब रक्सौल, डाल्टनगंज, पेण्ड्रा रोड, छिंदवाड़ा, जलगांव, दहानू और लांग तक है।
मौसम विभाग से जारी इस मानचित्र के सफेद हिस्सों से मानसून वापस लौट चुका है।
मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल 17 सितंबर से मानसून की वापसी शुरू होने का अनुमान लगाया था। यह वापसी पश्चिमी राजस्थान से शुरू होनी थी। उसके पांच अक्टूबर तक छत्तीसगढ़ पहुंच जाने का अनुमान था। तब कहा जा रहा था, 15 अक्टूबर तक मानसून की वापसी रेखा छत्तीसगढ़ की दक्षिणी सीमा को पार कर जाएगी। यानी 15 अक्टूबर तक प्रदेश में बरसात का मौसम खत्म हो जाना था। इन अनुमानों के उलट मानसून की वास्तविक वापसी 20 सितंबर के बाद शुरू हुई और उसकी रफ्तार बेहद धीमी रही। 14 अक्टूबर तक मानसून वापस लौटते हुए केवल पेंड्रा रोड तक पहुंच पाया है।
11 अक्टूबर तक छत्तीसगढ़ से लौट जाना था मानसून
मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा का कहना है, सामान्य तौर पर छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन 10 जून होता है। वहीं विदाई 11 अक्टूबर तक। रायपुर में मानसून की विदाई की सामान्य तिथि 9 अक्टूबर मानी जाती है। लेकिन पिछले 10 सालों में ऐसा केवल दो बार देखा गया है। एक बार 2018 में मानसून की वापसी 5 अक्टूबर को हो गई थी। वहीं 2019 में इसकी वापसी 10 अक्टूबर को हुई। शेष आठ वर्षों में मानसून की वापसी हमेशा 11 अक्टूबर के बाद ही हुई है। 2011 में तो 24 अक्टूबर तक मानसून बना हुआ था।
सरगुजा संभाग में अब हुई है झमाझम
छत्तीसगढ़ में इस साल का अक्टूबर सबसे अधिक गीला है। अक्टूबर में एक से 14 तारीख के बीच 57.6 मिलीमीटर बरसात हो चुकी है। यहां इस महीने एक से 14 तारीख के बीच पिछले 10 सालों का सामान्य औसत 37.3 मिलीमीटर ही है। इस मान से इस साल की बरसात सामान्य से 54% अधिक है। सूखे जैसे हालात का सामना कर रहे सरगुजा संभाग में अक्टूबर में झमाझम बरसात हो रही है। इस महीने सबसे अधिक 123.4 मिमी पानी बलरामपुर में बरसा है। जशपुर, सूरजपुर, कोरिया, दुर्ग, बिलासपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में भी सामान्य से कई गुना अधिक पानी बरसा है।
रायपुर में 77% अधिक पानी बरसा
मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा बताते हैं, पिछले दशक के अक्टूबर महीने में रायपुर शहर में अधिकतम 10 दिन तक बरसात का रिकॉर्ड है। इस बार के 13 दिनों में ही कम से कम 8 दिन बरसात हुई है। सामान्य तौर पर रायपुर में एक से 14 अक्टूबर तक 27.3 मिलीमीटर औसत सामान्य बरसात होती है। इस बार 14 अक्टूबर तक ही 48.4 मिमी पानी बरस चुका है। यह सामान्य से 77% अधिक है। अभी भी बरसात की पूरी संभावना बनी हुई है।
इस महीने बवंडर उठने और आकाशीय बिजली गिरने की संभावना अधिक होती है।
इस महीने की बरसात के खतरे अधिक
मौसम विभाग की मानें तो अक्टूबर महीने में जो बादल बनते हैं, उनके साथ खतरे कुछ अधिक हैं। इसमें बिजली गिरने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में खुले आसमान के नीचे काम कर रहे लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। बरसात के साथ बवंडर उठता है। इससे कच्चे मकानों और फसलों, पेड़ों और फलों को नुकसान पहुंचता है। छत्तीसगढ़ में इसी महीने से धान की कटाई शुरू होती है। पानी बरसने से फसल गीली हो जाती है और उसमें अंकुरण होने लगता है।