छत्तीसगढ़

एक पिता के जज्बे को सलाम, बेटे की मौत के इंसाफ के लिए 72 साल की उम्र में विधि की पढ़ाई कर लड़ी कानूनी जंग

कोलकाता : एक पिता के जज्बे को सलाम, जिसने सुनवाई में देरी होने के कारण अपने बेटे की असामयिक मौत के इंसाफ के लिए 72 साल की उम्र में विधि की पढ़ाई की। इसके बाद कानूनी जंग लड़ी तथा उसे मुकाम तक पहुंचाया। कोलकाता के गडिय़ाहाट के रहने वाले सुभाष सरकार के अवसादग्रस्त 33 वर्षीय पुत्र सप्तर्षि सरकार ने 11 अगस्त, 2010 में कोलकाता स्थित डोवर मेडिकल सेंटर नामक नर्सिंग होम के शौचालय में आत्महत्या कर ली थी। नर्सिंग होम में एक अवसादग्रस्त मरीज को संभालने के लिए रस्सी से बांधा गया था। सप्तर्षि ने उसी रस्सी को खोलकर फंदे के तौर पर इस्तेमाल किया था।

डा. ज्योतिरिंद्र नाग के खिलाफ घोर लापरवाही का मामला

इस हादसे से सुभाष काफी मर्माहत हुए और उन्होंने मुआवजे के लिए उपभोक्ता संरक्षण अदालत में नर्सिंग होम के मालिक डा. ध्रुवज्योति शी और सप्तर्षि का इलाज कर रहे डा. ज्योतिरिंद्र नाग के खिलाफ घोर लापरवाही का मामला दर्ज कराया। इसके साथ ही उन्होंने गडिय़ाहाट थाने में नर्सिंग होम के मालिक और डाक्टर के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कराया। सुनवाई में देर होने के कारण सुभाष ने बेटे की मौत के न्याय के लिए खुद ही केस लडऩे का फैसला किया और इसके लिए वर्ष 2019 में 72 साल की उम्र में कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधीन एक निजी ला कालेज से कानून की पढ़ाई पास की।

मालिक व डाक्टर को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश

इसके बाद उन्होंने उपभोक्ता संरक्षण अदालत में विशेष अपील कर खुद केस लडऩा शुरू किया। इस बीच कोरोना महामारी के कारण अदालती कामकाज दो साल के लिए बाधित हुआ। आखिरकार इसी साल सितंबर के आखिरी हफ्ते में उपभोक्ता संरक्षण अदालत ने सप्तर्षि की मौत में लापरवाही की शिकायत को स्वीकार करते हुए नर्सिंग होम के मालिक व डाक्टर को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालांकि, मामले के दौरान अक्टूबर, 2015 में ध्रुवज्योति की मौत हो गई थी। उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने ध्रुवज्योति के परिवार को मुआवजा देने को कहा है।

पुलिस पहले ही दाखिल कर चुकी है चार्जशीट

रेलवे के सेवानिवृत्त अधिकारी सुभाष सरकार ने अब आपराधिक केस भी लडऩे का फैसला किया है। इस घटना में पुलिस पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। सुभाष ने अलीपुर कोर्ट में मामले में गवाही दी है। इधर, ध्रुवज्योति के परिवार के वकील नृपेंद्ररंजन मुखोपाध्याय की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जबकि ज्योतिरिंद्र नाग ने उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में जाने की बात कही है।