छत्तीसगढ़

अच्छे व्यवहार के कारण बिलकिस के दोषियों की सजा हुई माफ… गुजरात सरकार ने SC से कहा

नईदिल्ली I गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो रेप केस में 11 दोषियों को रिहा करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. इस दौरान राज्य सरकार ने याचिकाकर्ताओं (सुभाषिनी अली, महुआ मोइत्रा) द्वारा याचिका दाखिल करने पर सवाल उठाए. हलफनामे में कहा गया है कि क्षमादान को चुनौती देना जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. याचिकाकर्ताओं ने अधिकारों का दुरूपयोग किया है.

गुजरात सरकार ने कहा है कि सभी दोषियों को बोर्ड में शामिल सभी व्यक्तियों की राय के आधार रिहा करने का फैसला लिया गया. इसमें सजा के दौरान दोषियों के व्यवहार पर भी विचार किया गया था. राज्य सरकार ने सभी की ओपिनियन पर विचार किया और 11 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया क्योंकि दोषियो ने जेलों में 14 साल और उससे अधिक की सजा पूरी कर ली थी और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया था.

आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

राज्य सरकार की मंजूरी के बाद 10 अगस्त 2022 को दोषियों को रिहा करने के आदेश जारी किए गए. इस मामले में राज्य सरकार ने न्यायालय द्वारा निर्देशित 1992 की नीति के तहत प्रस्तावों पर भी विचार किया है. ये रिहाई नियम के मुताबिक हुई है. याचिकाकर्ताओ का ये कहना गलत है कि इन लोगों को आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर सजा मे छूट दी गई. इस मामले में आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.

5 महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ रेप

2002 के गुजरात में गोधरा दंगे के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था. पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया और उसकी बेटी सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. आरोपियों की तरफ से पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने की शिकायत मिलने पर शीर्ष अदालत ने केस को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था.

15 अगस्त को 11 दोषियों की रिहाई

21 जनवरी 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने हत्या और सामूहिक बलात्कार के मामले में 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. वहीं, इस साल 15 अगस्त को बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई हुई.