रायपुर। राजधानी रायपुर के माना एसओएस बालिका गृह नामक बाल आश्रम में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में नया पेंच आ गया है। नाबालिग ने जिस बच्चे को जन्म दिया था उसका और नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले जेल में बंद आरोपित अंजनी शुक्ला का डीएनए मिस मैच हो गया है। यानी कि बच्चे का जैविक पिता कोई और ही है। इससे साफ है कि जो आरोपित जेल में बंद है, उसके अलावा किसी और ने भी नाबालिग से दुष्कर्म किया था।
मामले में पुलिस की जांच से लेकर महिला एवं बाल विकास की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं। डीएनए रिपार्ट मैच नहीं होने के बाद भी मामले जांच आगे ही नहीं बढ़ी। जांच रिपोर्ट में लिखा है कि नाबालिग ने जिस बच्चे को जन्म दिया था, अंजनी शुक्ला उसका जैविक पिता नहीं है। लेकिन नाबालिग ने अंजनी शुक्ला के द्वारा दुष्कर्म करने का बयान पुलिस को दिया था। इससे साफ है की नाबालिग के दुष्कर्म मामले में कोई और भी आरोपित है, जिसे बचाने का प्रयास प्रबंधन और पुलिस के द्वारा किया गया। मामले के सामने आने के बाद अब पुलिस नए सिरे पूरे मामले की जांच करने की बात कर रही है।
कोर्ट में जाते ही बंद की जांच, प्रबंधन भी बदल गया
आरोपित अंजनी शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में आरोप पत्र पुलिस के द्वारा पेश किया गया। मामला न्यायालय पहुंचते ही महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस ने जांच ही बंद कर दी। वहीं, अब एसओएस के सभी पदाधिकारी भी बदल गए हैं। ऐसे में अब नए सिरे से जांच करने में भी दिक्कतें होना तय माना जा रहा है।
छह माह बाद लिखाई थी रिपोर्ट
माना एसओएस बालिका गृह में 14 साल की नाबालिग से दुष्कर्म हुआ था, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल संरक्षण इकाई ने इस मामले को दबा कर रखा था। बच्ची जब 6 माह की गर्भवती हो गई तब जाकर पुलिस को जानकारी देकर एफआइआर दर्ज कराई गई लेकिन इस मामले में यह पता लगाने की कोशिश नहीं की गई की इस मामले में और कौन-कौन शामिल हैं।
रायपुर एएसपी ग्रामीण कीर्तन राठौर ने कहा, मामले में कुछ बिंदु सामने आए हैं, जांच दुबारा शुरू कराई जा रही है। जांच में जो भी आरोपी सामने आएंगे तो उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विभाग के अधिकारी और बालिका गृह प्रबंधन से पूछताछ कर सभी पहलुओं पर जांच शुरू की गई है।
छत्तीसगढ़ महिला एवं बाल विकास के संचालक दिव्या उमेश मिश्रा ने कहा, हमारी ओर से जांच पूरी कर रिपोर्ट दे दी गई थी। मामले पर एफआइआर हो चुकी है, तो अब आगे की कार्रवाई पुलिस के द्वारा की जानी है।
पूरे मामले में अब यह उठ रहे हैं सवाल
– बच्चे और आरोपी का डीएनए मैच नहीं हुआ, तो आखिर कौन है जन्म लेने वाले बच्चे का पिता?
– देर से पुलिस में शिकायत करने वाले एनजीओ संचालकों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
– क्या आरोपी ने अकेले नाबालिग से दुष्कर्म किया या उसके साथ कोई और भी अपराध में शामिल था?
– एसओएस बालिका गृह के संचालकों ने पूरी जानकारी पुलिस को क्यों नहीं दी?
– बाल संरक्षण ईकाई के अधिकारी ने किसको बचाने आगे नहीं बढ़ाई जांच?
– बाल संरक्षण अधिकारी और कार्यक्रम अधिकारी ने क्यों नहीं की जांच की मांग?
– एसओएस बाल संरक्षण ईकाई के लोग भी अपराध में हैं शामिल?
– बालिका गृह में आने-जाने वाले पुरुषों की जांच क्यों नहीं हुई?
– बच्ची के मासिक धर्म बंद होने पर क्यों नहीं ली डाक्टरी सलाह।
– मामले में पाक्सो एक्ट के प्रवधानों को क्यों दरकिनार किया गया?