नईदिल्ली I विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया में आईसीसी टी20 विश्व कप में भारतीय टीम के लिए काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. बल्ले से उनका योगदान बड़ा है. नतीजा यह हुआ है कि मेलबर्न, सिडनी, पर्थ और एडिलेड में खचाखच भरे स्टेडियम में लोग उनके नाम के नारे लगा रहे हैं; कोहली को एक बार फिर से दूसरों से बेहतर माना जा रहा है. उन्होंने अब तक लगभग हर तरह के तेज आक्रमण का सामना किया है और गेंदबाजों की जम कर धुनाई की है.
वातावरण और तेज गेंदबाजों ने अपनी शानदार गेंदबाजी से पहले छह ओवर के पावरप्ले में शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को काफी मुश्किल में डाला. मगर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच को छोड़कर कोहली हर मैच में अपना रंग दिखाते नजर आए.
पूरी टीम को संभाल रहे कोहली
तीन साल से संकट से गुजर रहे भारतीय बल्लेबाज कोहली अपने 71वें अंतरराष्ट्रीय शतक के लिए संघर्ष करते नजर आए (उन्होंने अंततः एशिया कप में दुबई में अफगानिस्तान के खिलाफ शतक बना लिया) मगर अब वे बैटिंग के मामले में अपने कंधों पर पूरी टीम की जिम्मेदारी ले कर चल रहे हैं. उनके दृष्टिकोण और रवैये में कुछ खास बदलाव नहीं आया है; यह सिर्फ इतना है कि वह भारत के लिए आईसीसी खिताब जीतने को आतुर हैं. पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में टी20 विश्व कप में उनके लिए सब कुछ गड़बड़ हो गया. मगर एक साल बाद वह नंबर तीन पर एक धाकड़ बल्लेबाज बन कर उभरे हैं.
113 टी20 मैच (105 पारियां) खेलने के बाद कोहली का स्कोरिंग रेट 8.31 प्रति ओवर है. यह 100 टी20 इंटरनेशनल खेलने वाले 19 बल्लेबाजों के 7.96 के औसत स्ट्राइक रेट से काफी बेहतर है.
केवल छह विशेषज्ञ बल्लेबाजों–भारत के रोहित शर्मा (8.35), ऑस्ट्रेलिया के एरॉन फिंच (8.55), इंग्लैंड के जॉस बटलर (8.63), दक्षिण अफ्रीका के डेविड मिलर (8.68) – का स्कोरिंग रेट उनसे बेहतर है. अफगानिस्तान के मोहम्मद नबी (8.41) और न्यूजीलैंड के टिम साउदी (8.51) भी कोहली से ऊपर हैं. कोहली के आंकड़े अभूतपूर्व हैं; अब वे 3,932 के साथ टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में रोहित शर्मा (3,811 रन, 146 मैच/138 पारियों) से आगे निकल गए हैं.
खिताब जीतने की नाकामी बनी परेशानी
सभी फॉर्मेट में आईसीसी टूर्नामेंटों में भारत को जीत दिलाने में उनकी असमर्थता को लेकर बहुत सारी बातें हुई हैं. उनका सबसे अच्छा मौका विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में रहा जिसे न्यूजीलैंड ने पिछले साल साउथैम्प्टन में जीता. कोहली ने 2011 आईसीसी विश्व कप में भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी; श्रीलंका ने फाइनल में सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग को सस्ते में आउट कर दिया था. उसके जाने के बाद उन्होंने और गौतम गंभीर ने 275 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की पारी को पटरी पर ला दिया. यह कोहली की सर्वश्रेष्ठ रक्षात्मक पारियों में से एक है.
कोहली के पास पिछले साल अक्टूबर-नवंबर (2021) में संयुक्त अरब अमीरात में एक और मौका था लेकिन उनकी टीम ने आईसीसी टी20 विश्व कप में अपने अभियान की शुरुआत ही काफी खराब की. टीम पहले दो मैच पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हार गई.कोहली हालांकि भारत को बुरी स्थिति से बचाने के लिए हमेशा की तरह तत्पर नजर आए. उस वक्त बाएं हाथ के सीमर शाहीन शाह अफरीदी ने रोहित शर्मा और केएल राहुल को एक के बाद एक आउट कर बुरी स्थिति पैदा कर दी थी. कोहली ने एक धमाकेदार अर्धशतक बनाया लेकिन भारतीय टीम दुबई में 10 विकेट से बुरी तरह से हारी. हालांकि यह पहली बार था जब कोहली ने किसी आईसीसी मैच के सबसे छोटे फॉर्मेट में भारत का नेतृत्व किया. 2019 में वह आईसीसी के एक टूर्नामेंट में जीत हासिल करने के करीब पहुंच गए लेकिन 50 ओवर के विश्व कप में टीम सेमीफाइनल से आगे नहीं जा सकी.
कप्तानी गई, बैटिंग में ध्यान लगाया
पिछले साल इंग्लैंड में अधूरी टेस्ट सीरीज से लौटने के बाद – संयुक्त अरब अमीरात में आईसीसी टी20 विश्व कप से पहले- उन्होंने टी20 फॉर्मेट में कप्तानी छोड़ने की घोषणा की और कहा कि वे टेस्ट और वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे. लेकिन इसके कुछ ही महीने बाद सभी फॉर्मेट में कप्तानी रोहित शर्मा के हाथ में चली गई. कप्तानी जाने की उन्होंने चिंता नहीं की (हालांकि कुछ घटनाओं से भले ही उन्हें चोट पहुंची हो) न ही अफसोस किया और अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित कर उसे और बेहतर बनाने में जुट गए. उन्होंने कहा कि वह दो आईसीसी ट्रॉफियां – ऑस्ट्रेलिया में आईसीसी पुरुष टी 20 विश्व कप और अगले साल भारत की मेजबानी में आईसीसी विश्व कप – जीतने में भारतीय टीम को सक्षम बनाने के लिए अपना पूरा दम-खम लगा देंगे.
कोहली ने किया जबरदस्त बदलाव
पिछले साल असफलता का सामना करने के तुरंत बाद कोहली ने खुद को पूरी तरह से बदल दिया. हालांकि उन्होंने न्यूजीलैंड और श्रीलंका के खिलाफ घरेलू सीरीज में हिस्सा नहीं लिया. उन्होंने कोलकाता में वेस्टइंडीज के खिलाफ दो मैच खेले. दुबई में हाल ही में हुए एशिया कप उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. भारत ने वहां ट्रॉफी नहीं जीती लेकिन कोहली ने पर्याप्त संकेत दिए कि वे लंबी पारी खेल सकते हैं. एशिया कप में उनका स्कोर पाकिस्तान के खिलाफ 35 रहा. वह भी तब जब तेज गेंदबाज नसीम शाह और हारिस रउफ सभी के लिए मुश्किल पैदा कर रहे थे. हांगकांग के खिलाफ उनका स्कोर 59*, पाकिस्तान के खिलाफ 60, श्रीलंका के खिलाफ 0 और अफगानिस्तान के खिलाफ 122* (उनका पहला टी20ई शतक) रहा. कुल मिलाकर उन्होंने 52 के औसत से 276 रन बनाए जो काफी सराहनीय है.
वर्ल्ड कप में दिख रहा जलवा
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टी20आई में फॉर्म की झलक दिखलाई. उन्होंने हैदराबाद में ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ 63 रन और तिरुवनंतपुरम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 49 नाबाद रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के लिए यह सही तैयारी मानी जाएगी. संयुक्त अरब अमीरात में पिछले साल की निराशा के बाद 18 मैचों में कोहली ने 500 गेंदों का सामना किया (एडिलेड में बांग्लादेश के खिलाफ मैच तक) और एक शतक और सात अर्धशतकों के साथ 705 रन बनाए. इनमें से तीन अर्धशतक टी20 विश्व कप में आया. उन्होंने मेलबर्न में पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 82, सिडनी में नीदरलैंड के खिलाफ नाबाद 62, पर्थ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 12 और एडिलेड में बांग्लादेश के खिलाफ नाबाद 64 रन बनाए.
उन्होंने अब तक 152 गेंदों में 220 रन बनाए हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में वे लुंगी एनगिडी की एक गेंद को मारने के चक्कर में आउट जरूर हो गए, मगर ऑस्ट्रेलिया में चल रही प्रतियोगिता में उन्होंने हर मैच में अपना योगदान दिया है. पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे ओवर की पांचवीं गेंद पर राहुल के आउट होने पर, नेदरलैंड्स के खिलाफ तीसरे ओवर की चौथी गेंद पर राहुल के आउट होने पर, पांचवें ओवर की दूसरी गेंद पर शर्मा के आउट होने पर और बांग्लादेश के खिलाफ चौथे ओवर की दूसरी गेंद पर शर्मा के आउट होने पर वह बैटिंग करने आए और अच्छा प्रदर्शन किया.
आत्मविश्वास से भरे दिख रहे कोहली
कुछ मौकों को छोड़कर वे आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आए और जरूरत के मुताबिक अपनी पोजीशन भी बदली. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मिडिल ऑर्डर में 98 मिनट, नेदरलैंड्स के खिलाफ 79 मिनट, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 13 मिनट और बांग्लादेश के खिलाफ 84 मिनट पिच पर बिताए. इसमें कोई संदेह नहीं है कि मिडिल ऑर्डर में पिच पर उनके टिकने के कारण ही भारत जीतने योग्य बड़ा स्कोर या पीछा करते हुए बड़ा स्कोर बना पाया.
कोहली टीम इंडिया को टूर्नामेंट के आखिर तक पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. भारत को 15 साल पहले महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में जीती ट्रॉफी को फिर से घर लाने के लिए तीन और मैच जीतने होंगे. इसको लेकर भारतीय टीम में कोहली से ज्यादा उत्सुक और कोई नहीं होगा. यह निश्चित है कि वे इसके लिए प्रयास करते रहेंगे. शर्मा को कैप्टन का भार मिलने के बाद कोहली यह साबित कर रहे हैं कि अब भी उनमें काफी क्रिकेट बचा हुआ है.