बिलासपुर। बिलासपुर में भिलाई की छात्रा प्रियंका हत्याकांड भी दिल्ली की श्रद्धा मर्डर केस की तरह मिस्ट्री बनने वाली थी। यह अलग बात है कि इस केस में प्रियंका के परिजन उसके गायब होने के तत्काल बाद सक्रिय हो गए और उसकी तलाश शुरू कर दी। हत्यारे युवक ने पुलिस की पूछताछ में कई अहम जानकारियां दी है, जिसके आधार पर पुलिस उसके खिलाफ साक्ष्य जुटा रही है। इस केस में परिजन के साथ ही पुलिस की सक्रियता देखकर कातिल को लाश ठिकाने लगाने का मौका नहीं मिला। हालांकि, वह दुकान से शव हटाने में कामयाब जरूर हो गया। देर होती तो वह इस काम को भी अंजाम देने की प्लानिंग में था।
परिजन और पुलिस को गुमराह करने साथ घूमता रहा कातिल।
प्रियंका का कातिल आशीष साहू अब पुलिस गिरफ्त में है। पूछताछ में उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। हत्या करने से लेकर लाश छिपाने तक का राज उसने पुलिस को बताया है। आरोपी आशीष ने कहा कि प्रियंका को उसे बड़ी रकम देनी थी और उसके पास पैसे का इंतजाम नहीं था। प्रियंका जब पैसे मांगने पहुंची, तब आशीष ने बहस करते हुए बहानेबाजी शुरू कर दी। फिर रकम देना न पड़े इसलिए उसने गला दबाकर प्रियंका को मार दिया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह लाश को दुकान से कहां ठिकाने लगाए। ऐसे में चार दिनों तक लाश दुकान में ही छिपाकर रखा रहा।
इधर, प्रियंका के गायब होने के बाद परिजनों का पुलिस पर दबाव बढ़ रहा था। पुलिस सक्रियता से उसकी तलाश कर रही थी। ऐसे में आशीष डर के कारण दुकान से लाश को निकालने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था। उसने बताया कि परिजन और पुलिस की सक्रियता को देखकर वह सहम गया और उसे कुछ नहीं सूझ रहा था। उसे डर था कि कहीं परिजन के दबाव में आकर पुलिस उसकी दुकान की तलाशी न ले ले। यही वजह है कि उसने शनिवार की तड़के चार बजे शव को बाहर निकाला और अपनी कार में भरकर अपनी बाड़ी में ले गया। वहां से आशीष आराम से शव को ठिकाने लगाने की योजना बना रहा था कि बदबू फैलने के बाद पुलिस ने कार से लाश बरामद कर लिया और हत्या का राज खुल गया।
सोचने का समय मिलता तो नहीं पकड़ पाती पुलिस
प्रियंका के गायब होने के बाद परिजन घबरा गए और तत्काल उसकी तलाश करते हुए बिलासपुर पहुंच गए। अगर वे थोड़ी भी देर करते और पुलिस सक्रिय नहीं होती तो आरोपी आशीष साहू को मौका मिल जाता। फिर वह लाश को ठिकाने लगाकर निर्दोष बना रहता।
परिजन और पुलिस दोनों को आरोपी कर रहा था गुमराह
प्रियंका का जब फोन 16 नवंबर की सुबह तक नहीं चालू हुआ तो उसके परिजन घबराकर बिलासपुर पहुंच गए। इस दौरान उन्हें थाना लेकर जाने वाला शख्स आशीष साहू ही था। परिजनों के साथ मिलकर उसने प्रियंका की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर उनकी मदद के नाम पर उनके साथ घूमता रहा और पुलिस की एक्टिविटी को वॉच करता रहा।
सबूत जुटाने दुकान पहुंची पुलिस।
CCTV फुटेज देखने गए तब रोक दिया
प्रियंका के भाई हिमांशु ने पुलिस को बताया कि जब वे लोग प्रियंका की तलाश कर रहे थे, तब जिस जगह पर प्रियंका के कैमरे में कैद होने की संभावना थी, वहां जाने से आशीष साहू ने रोक दिया। उसने कहा कि उस घर के लोग ठीक नहीं है और सीसीटीवी देखने नहीं देंगे। लेकिन, अब पता चला कि वह फुटेज देखने से क्यों रोक रहा था।
दुकान से वाइपर, फिनायल बोतल जब्त
दुकान में आशीष ने फ्रिज के पीछे लाश छिपाई थी। गला दबाने के बाद प्रियंका के मुंह और नाक से खून निकल आया था, जिसे उसने फिनायल डालकर वाइपर से साफ किया था। फिर बंडल से रुई निकालकर उसके मुंह में ठूंस दिया था। TI प्रदीप आर्य ने रविवार को आरोपी आशीष साहू को दुकान ले जाकर रुई के बंडल, वाइपर और फिनायल की बोतल को बतौर सबूत जब्त किया।
आखिरी बार मां से की थी बात, बोली थी- पढ़ने लाइब्रेरी जा रही है
गायब होने से पहले प्रियंका ने 15 नवंबर की दोपहर आखिरी बार अपनी मां से बात की थी। मां ने प्रियंका से खाना खाने के बारे में पूछा था। तब उसने बताया कि खाना खा ली है और अब पढ़ने के लिए लाइब्रेरी जा रही है। प्रियंका ने 4 दिन पहले ही लाइब्रेरी जॉइन की थी। वह खुद से ही हॉस्टल के रूम में खाना बनाती थी। इधर, प्रियंका लाइब्रेरी जाने से पहले पैसे वसूल करने आशीष की दुकान पहुंच गई और उसकी हत्या हो गई।
प्रशासनिक अफसर बनना चाहती थी प्रियंका।
पैसे वसूलने के लिए दिसंबर तक रूकी थी प्रियंका
भिलाई निवासी 24 वर्षीय प्रियंका सिंह दयालबंद स्थित टुटेजा ट्यूटोरियल्स में पढ़ती थी। उसका सेशन 20 अक्टूबर को पूरा हो गया था। सिलेबस पूरा होने के बाद उसका कोचिंग जाना बंद हो गया। इससे पहले वह दीपावली में घर गई थी और वापस बिलासपुर आ गई। वह आशीष साहू से अपना पूरा हिसाब करके वापस भिलाई जाना चाहती थी। यही वजह है कि वह पैसे देने के लिए बार-बार आशीष पर दबाव बना रही थी।
सहेली से बोला झूठ- थमाया स्कूटी की चाबी और बैग
प्रियंका हत्याकांड में पुलिस को एक अहम साक्ष्य के रूप में उसकी एक सहेली मिली है। उसने पुलिस को बताया कि 15 नवंबर की रात करीब 8 बजे आशीष ने उसे फोन किया था और बोला कि प्रियंका अभी तक नहीं आई है। वह अपनी स्कूटी को सामने खड़ी कर चाबी छोड़कर गई है। उसने प्रियंका की सहेली को गुमराह करने के लिए कहा कि वह दुकान बंद करने वाला है, इसलिए आकर चाबी और स्कूटी ले जाए। सहेली दूसरे काम में व्यस्त थी, तब वह दुकान बंद करने से पहले रात करीब 9 बजे पहुंची और स्कूटी की चाबी लेकर लौट रही थी। तभी आरोपी आशीष ने प्रियंका का बैग भी उसे थमा दिया। लेकिन, तब उसकी सहेली के मन में यह ख्याल नहीं आया कि प्रियंका का बैग उसकी दुकान में कैसे छूटा था। उसे क्या पता था कि आशीष ने ही उसकी हत्या कर दी है।