छत्तीसगढ़

मोरबी पुल हादसा: सुप्रीम कोर्ट ने कम मुआवजे पर जताई चिंता, HC में जारी रहेगी सुनवाई

नईदिल्ली I गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण और एसजी तुषार मेहता की दलीलें सुनीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले में किसी भी स्टेज पर सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं. मोरबी पुल हादसे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लगातार निगरानी के जरिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं ना हों. हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई को जारी रखे.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट स्वतंत्र जांच, जांच और कार्यवाही में तेजी व उचित मुआवजे के पहलुओं पर गौर करे. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वो नियमित अंतराल पर सुनवाई करता रहे ताकि इन जैसे तमाम पहलुओं को सुनवाई में समेटा जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर उन्हें फिर भी आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत लगती है तो फिर से वे सर्वोच्च न्यायालय आ सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट उन मुद्दों पर ध्यान दे, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए हैं और उन पर निर्देश जारी करे.

गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने आदेश भी दिए हैं और 24 नवंबर को अगली सुनवाई है. हाईकोर्ट मामले के विभिन्न पहलुओं पर हर सप्ताह निगरानी कर रहा है. याचिकाकर्ता के वकील ने हमसे कहा कि एक निर्धारित राशि मुआवजे के तौर पर पीड़ित पक्ष को मुहैया करायी जाए. कुछ अन्य पहलू भी रखे और यह स्पष्ट किया कि स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि नगरपालिका की जिम्मेदारी और रखरखाव करने वाली कंपनी को लेकर भी कार्यवाही होनी चाहिए.

स्वतंत्र जांच की उठी थी मांग

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में सरकार का पक्ष भी सुना जाए. सीजेआई ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है. वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और तीन आदेश दिए हैं. उन्होंने राज्य, राज्य मानवाधिकार आयोग आदि को पक्षकार बनाया है. वकील ने कहा कि लोगों की मौत के मामले में स्वतंत्र जांच कराई जाए. क्योंकि इस मामले में सरकारी महकमों और अधिकारियों को बचाया जा रहा है. मोरबी मामले पर दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं. इसमें एक वकील विशाल तिवारी और दूसरी दो मृतकों के रिश्तेदारों द्वारा दाखिल की गई, जो पुल गिरने की घटना के मामले में स्वतंत्र जांच, उचित मुआवजे को लेकर हैं.

हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है: सुप्रीम कोर्ट

वकील ने कहा कि राज्य में चुनाव हैं और ऐसे में यह जरूरी है कि असली दोषियों को पकड़ा जाए. अजंता कंपनी और नगरपालिका सीधे तौर जिम्मेदार है. क्योंकि कोई रेनोवेशन नहीं कराया गया और कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया जाता रहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. किसी भी मसले पर बेवजह कोई संदेह नहीं किया जाना चाहिए. वकील ने कहा कि नगरपालिका ने लोगों की हत्या की है. सर्वोच्च अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.

घटना में मारे गए थे 134 लोग

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. याचिका में कहा गया है कि यह हादसा अधिकारियों की लापरवाही और घोर विफलता को दर्शाता है. अधिवक्ता विशाल तिवारी ने एक नवंबर को इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था. इस पर शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर जल्द ही सुनवाई करेगी. गुजरात के मोरबी शहर में 30 अक्टूबर को मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल का केबल पुल टूटने की घटना में महिलाओं और बच्चों समेत कुल 134 व्यक्तियों की मौत हो गई थी. अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है, पिछले एक दशक से हमारे देश में कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुप्रबंधन, ड्यूटी में चूक और रखरखाव की लापरवाही के कारण भारी जनहानि के मामले सामने आए हैं, जिन्हें टाला जा सकता था.