छत्तीसगढ़

Covid Vaccine Deaths: कोरोना टीके लगवाने से मौत के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं, सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर

नईदिल्ली I कोरोना टीकाकरण की वजह से कथित मौतों को लेकर केंद्र सरकार ने कोई जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि मृतकों व उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है, लेकिन टीके के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

यह मामला पिछले साल दो युवतियों की कथित तौर पर कोरोना टीकाकरण से मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका से जुड़ा है। केंद्र ने हलफनामे के साथ दायर जवाब में कहा कि जिन मामलों में टीके के कारण मौत हुई हो, उनमें सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर मुआवजा मांगा जा सकता है। यह हलफनामा दो युवतियों के माता-पिता द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया है। इनकी पिछले साल कोविड टीकाकरण के बाद मृत्यु हो गई थी।

याचिका में मांग की गई है कि कोविड वैक्सीन से मौत के मामलों की स्वतंत्र जांच कराई जाए और टीकाकरण के बाद किसी भी प्रतिकूल प्रभाव (AEFI) का समय रहते पता लगाकर उससे बचाव के उपाय करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा बोर्ड बनाने का आग्रह किया गया है। याचिका का जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले सप्ताह दायर किया। इसमें कहा गया है कि टीकों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण बेहद कम मौतों व मुआवजे के लिए केंद्र को जिम्मेदार मानना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा। दो युवतियों की मौत पर सांत्वना देते हुए केंद्र ने कहा कि सिर्फ एक मामले में एईएफआई की कमेटी ने इसकी वजह टीकाकरण का प्रतिकूल असर पाया है।

मुआवजे की मांग खारिज, सिविल कोर्ट में लगाएं केस
याचिकाकर्ता की मुआवजे की मांग खारिज करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभाव के कारण शारीरिक चोंट आती है या उसकी मौत होती है तो कानून के मुताबिक वह या उसका परिवार मुआवजे या हर्जाने की मांग को लेकर सिविल कोर्ट में दावा दायर लगा सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि लापरवाही को लेकर ऐसे मामले केस-दर-केस के आधार पर दायर किए जा सकते हैं। 

खतरों या दुष्प्रभावों की पूर्व सूचना नहीं दी
वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश होकर कहा कि ये मौतें नहीं होतीं, यदि टीके के खतरों के बारे में पूर्व में सूचना देकर सहमति ले ली जाती। इस पर केंद्र ने कोर्ट से कहा कि सहमति का सवाल वैक्सीन जैसे दवा के स्वैच्छिक उपयोग पर लागू नहीं उठता है।

कुल खुराक के मुकाबले प्रतिकूल प्रभाव मामूली
प्रतिकूल प्रभावों के आंकड़े पेश करते हुए केंद्र ने कहा कि कुल लगाए गए टीकों की तुलना में ये बहुत मामूली हैं। 19 नवंबर 2022 तक देश में कोरोना वैक्सीन की कुल 219.86 करोड़ खुराक दी जा चुकी थी। इनमें से प्रतिकूल प्रभाव के 92,114 के मामले दर्ज किए गए हैं। एईएफआई के इन मामलों में से 89,332 (यानी 0.0041 फीसदी) मामूली प्रतिकूल प्रभाव के थे और मात्र 2,782 (यानी 0.00013 फीसदी) मामले मौत समेत अन्य गंभीर प्रतिकूल असर के हैं। 

इन दो युवतियों की हुई थी मौत
पहली याचिकाकर्ता रचना गंगू की बेटी को पिछले साल 29 मई को कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई थी और एक महीने के भीतर 19 जून को उसकी मौत हो गई। इसी तरह दूसरे याचिकाकर्ता वेणुगोपालन गोविंदन की बेटी एमएससी चौथे वर्ष की छात्रा थी। उसे पिछले साल 18 जून को कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई थी और 10 जुलाई को उसकी मृत्यु हो गई थी।