छत्तीसगढ़

Twitter: कोरोना को लेकर लापरवाह हुए मस्क, ट्विटर से कोविड भ्रामक सूचना नीति को हटाया, लोगों की बढ़ी चिंता

नईदिल्ली I चीन समेत कई देशों में कोरोना महामारी के फैलने के बावजूद दुनिया के सबसे अमीर शख्स और टेस्ला कंपनी के मालिक की लापरवाही सामने आई है। दरअसल, ट्विटर पर जो कोविड भ्रामक सूचना नीति लागू की गई थी उसे अब हटा दिया गया है। यानी कि अब लोग ट्विटर पर कोरोना महामारी के बारे ट्विटर पर झूठी और भ्रामक खबरें भी लिख सकते हैं। स्वास्थ्य और मीडिया विशेषज्ञों ने मस्क के इस कदम के प्रभाव पर चिंता जताई है। उपयोगकर्ताओं ने 23 नवंबर को इस बात पर ध्यान दिया था कि ट्विटर पर एक वाक्य अपडेट किया गया था जिसमें लिखा था कि, ट्विटर अब कोविड भ्रामक सूचना नीति को लागू नहीं कर रहा है और यह 23 नवंबर, 2022 से प्रभावी होगा।

मस्क के इस कदम का कई लोगों ने समर्थन तो कई लोगों ने की आलोचना
मस्क के इस कदम की कई लोग जहां आलोचना कर रहे हैं वहीं कई लोग समर्थन में भी आए हैं। डॉ सिमोन गोल्ड ने मस्क के इस कदम की तारीफ करते हुए कहा कि इस नीति का इस्तेमाल दुनिया भर में उन लोगों को चुप कराने के लिए किया गया था, जिन्होंने वायरस और उपचार के विकल्पों के बारे में मीडिया की कहानी पर सवाल उठाया था। मुक्त भाषण और चिकित्सा स्वतंत्रता के लिए एक बड़ी जीत। वहीं महामारी विज्ञानी एरिक फेगल-डिंग ने ट्वीट  करते हुए लिखा कि यह एक बुरी खबर है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे ट्विटर से न भागें, बल्कि वायरस के बारे में बुरी जानकारी के खिलाफ लड़ाई जारी रखें।

मस्क ने 2020 में कोरोना से डर को जानलेवा बताया था
स्पेस एक्स और टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क ने 15 मार्च 2020 को ट्वीट करते हुए लिखा था कि कोरोनावायरस महामारी का डर मानवता के लिए अच्छा नहीं है। यह एक दिमागी फितूर है, जो जानलेवा हो रहा है। मस्क के इस ट्वीट को तीन घंटे में ही इसे को साढ़े तीन लाख बार रिट्वीट किया गया और करीब डेढ़ लाख लोगों ने लाइक किया। एक अन्य ने ट्वीट किया, अस्पतालों को मदद की आवश्यकता है।

क्या है कोविड भ्रामक नीति?
मस्क के अधिग्रहण से पहले ट्विटर ने कोविड भ्रामक नीति के तहत सभी को अपने अनुभव शेयर करने का अधिकार दिया था लेकिन गलत जानकारियों और तरह-तरह की अटकलों को हटाया भी जा रहा था। साथ ही कंपनी उन विज्ञापनों को भी ब्लॉक कर रही थी जो इसका स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश करते थे। लेकिन अब इस नीति के हटने से क्या प्रभाव होगा वह आगे पता चलेगा।