छत्तीसगढ़

बिलकिस बानो की याचिका पर 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, क्या दोषियों को फिर से होगी सजा?

नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट 2002 के  गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो की याचिका पर 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा. दंगें के दौरान बानो से बलात्कार और उनके परिवार के लोगों की हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की  राज्य सरकार ने सजा माफ कर दी थी, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इन 11 आरोपियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले भी कई याचिका दायर की जा चुकी है.बानो के मामले पर जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. बानो के साथ गुजरात में हुए दंगों के दौरान बलात्कार हुआ था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिसमें बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी. 

सुप्रीम अदालत ने गुजरात सरकार से नौ जुलाई, 1992 की नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर दो महीने के भीतर विचार करने को कहा था. 15 अगस्त को दोषियों की रिहाई के लिए दी गई माफी के खिलाफ अपनी याचिका में बानो ने कहा, राज्य सरकार ने सुप्रीम अदालत के निर्धारित कानून की जरूरतों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया. याचिका में में कहा गया है, बिलकिस बानो के मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और इसके परिणामस्वरूप देश भर में प्रदर्शन हुए हैं. पिछले फैसलों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है, कि सामूहिक रूप से छूट की अनुमति नहीं है. इस तरह की मांग या अधिकार में दोषी के मामले और अपराध में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के आधार पर जांच किए बिना माफी नहीं दी जा सकती है. याचिका में अपराध का  विवरण देते हुए कहा गया है कि बानो और उनकी बेटियां इस घटनाक्रम से सदमे में हैं.

क्या है पूरा मामला ?
27 फरवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक ट्रेन के एस 6 कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. रिपोर्ट्स के अनुसार कोच में बैठे 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी. जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं. बिलकिस  3 मार्च 2002 को जहां अपने परिवार के साथ छुपी थी, वहां पर कुछ लोगों ने पहुंचकर हमला कर दिया था. दंगाइयों ने  बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप भी किया था. तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं. 

2008 में सुनाई गई थी सजा 
मामले की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को सौंपी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत की देखरेख में कर दिया था. मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को गुजरात सरकार ने अपनी नीति के तहत रिहा करने की अनुमति दी. 15 अगस्त को गोधरा उपजेल से सभी आरोपी बाहर निकले. बता दें वे जेल में 15 साल से ज्यादा समय पूरा कर चुके थे.