छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : कवर्धा में लद्दाख जैसा मैग्नेटिक हिल, यहां बिना ड्राइवर के चढ़ाई पर अपने आप चलने लगती है बंद कार,लोग मानते हैं दैवीय शक्ति

रायपुर I लद्दाख का मैग्नेटिक हिल पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां चढ़ाई वाले हिस्से पर अपने आप गाड़ी आगे बढ़ती है। ऐसा ही पहाड़ छत्तीसगढ़ में भी है। कवर्धा जिले के एक पहाड़ी पर बने रास्ते में ये हिस्सा पड़ता है। चढ़ाई वाली सतह की ओर बंद कार चलने लगती है। बिना ड्राइवर के बंद कार जब ऊपर की तरफ बढ़ती है तो ये देखना सभी को रोमांचित कर देता है।

रविवार के दिन यहां बहुत से लोग पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। मगर अब भी ये जगह ऐसी है जिसे बहुत से लोगों ने एक्सप्लोर नहीं किया है। कवर्धा जिला मैकल पहाड़ से घिरा हुआ है। इन्हीं के बीच पंडरिया ब्लॉक का देवानपटपर गांव पहाड़ी पर स्थित है। करीब 3 किलोमीटर तक की चढ़ाई के बाद ये हिस्सा आता है। इस हिस्से तक पहुंचने के लिए एक संकरी सड़क है जो 40 प्रतिशत तक ठीक-ठाक है।

सड़क से लगे पैच में ये अनोखी घटना होती है। यहां गाड़ी को ढलान की तरफ ले जाकर एक टीम ने खड़ा किया। टीम के ड्राइवर कान्हा इंजन ऑफ करके कार से उतरे और कार चढ़ाई वाले हिस्से की ओर भागने लगी। कुछ मीटर चलते ही कार की स्पीड बढ़ती गई तो भागकर ड्राइवर ने गाड़ी को कंट्रोल किया और ब्रेक लगाया।

स्थानीय लोग मानते हैं करिश्मा
देवान पटपर गांव में बैगा आदिवासी रहते हैं। इनकी बस्ती में इस घटना को दैवीय शक्ति का असर माना जाता है। आदिवासी जंगल, पहाड़ को देवता की तरह पूजते हैं। उनके बीच ये किस्सा मशहूर है कि देवता की शक्ति के असर से ही लोहे की बड़ी-बड़ी गाड़ियां यहां चढ़ाई वाले हिस्से पर खुद ब खुद चढ़ने लगती हैं।

5 साल पहले एक घटना से पता चला
स्थानीय निवासी धर्मराज वर्मा बताते हैं कि करीब 5 साल पहले एक शख्स यहां अपनी कार से पहुंचा था। कार रोक कर वो गाड़ी से उतरा और उसने नोटिस किया कि उसकी गाड़ी खुद ब खुद ऊपर की ओर जा रही है। इसके बाद ये आस-पास फैल गई। स्थानीय लोग इसे चुंबकीय शक्ति मानकर यहां अपनी गाड़ियां लेकर अब पहुंचते हैं और गाड़ी को चढ़ाई पर जाता देख रोमांचित होते हैं।

एक्सपर्ट क्या कहते हैं
रायपुर के भू-वैज्ञानिक निनाद बोधनकर ने कार के ऊपर जाने वाले विजुअल्स का मुआयना किया। उन्होंने बताया कि ऐसी जगहों पर बहुत कम चांस है कि कोई बड़ा मैग्नेटिक असर हो। चूंकि आस-पास पहाड़ भी हैं तो यहां के ले-आउट में एक ऑप्टिकल भ्रम (आंखों को होने वाला धोखा) होता है। जो हिस्सा चढ़ाई की तरह लगता है वो असल में ढलान है, इसलिए यहां हमें लगता है कि वो ऊपर जा रही है।

गांव के नाम के पीछे आदिम किस्सा
देवानपटपर गांव के नाम में देवान का मतलब है बैगा आदिवासियों के देवता और पटपर से मतलब है एक बराबर सतह से। इस गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क लगभग 10 साल पहले बनी थी। पहाड़ी के ऊपर समतल जगह पर बस्ती है। 300 से ज्यादा बैगा आदिवासी यहीं रहते हैं।

जंगल में मौजूद चार (चिरौंजी), महुआ, आम, इमली को बीनकर ये ग्रामीण इसे स्थानीय बाजार में बेचते हैं। इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है। जंगली और पहाड़ी इलाका होने की वजह से ऐसा भी नहीं है कि बड़े-बड़े खेतों में किसानी कर पाएं। पेड़ों पर ही इनकी जिंदगी आश्रित है। गांव में लकड़ियों और मिट्‌टी के छोटे घर हैं।

पर्यटन के लिहाज से विकसित हो सकती है जगह
कवर्धा का देवानपटपर पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा सकता है। स्थानीय लोग कहते हैं कि सड़क अच्छी हो तो और भी लोग यहां पहुंच सकेंगे। प्रशासन को यहां फूड जोन, जैसे पर्यटक सुविधाओं के बारे में विचार करना चाहिए।

लद्दाख वाले पहाड़ की खासियत
लद्दाख में, लेह-कारगिल राजमार्ग पर लेह शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सड़क का एक छोटा सा खिंचाव है जो गुरुत्वाकर्षण की घटना को परिभाषित करता है। इस पैच को मैग्नेटिक हिल के नाम से जाना जाता है, ये हिल स्थिर वाहनों को ऊपर की ओर खींचती है। इसे ‘मिस्ट्री हिल’ और ‘ग्रैविटी हिल’ जैसे कई नाम दिए गए हैं। समुद्र तल से 14,000 फीट की ऊंचाई पर यहां सिंधु नदी इस पहाड़ी के पूर्वी हिस्से में बहती है।