छत्तीसगढ़

Nepal Plane Crash: पोखरा विमान हादसे के पीछे की असली वजह क्या? विंग फ्लैप को लेकर विशेषज्ञों ने किया यह दावा

नईदिल्ली I बीती 15 जनवरी को नेपाल के रिसॉर्ट शहर पोखरा में ‘यति एयरलाइंस’का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे के समय विमान में 72 यात्री सवार थे हालांकि मृत सभी लोगों में से केवल 71 यात्रियों के शव अभी तक बरामद हो गए हैं। अब इस हादसे का प्राथमिक कारण सामने आया है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ‘यति एयरलाइंस’के विमान का पायलट विमान की लैंडिंग के समय विंग फ्लैप को पूरी तरह नहीं खोल सका होगा, जिसके कारण प्लेन क्रैश हो गया। गौरतलब है कि विमान को जमीन पर उतारने के दौरान उसकी गति को कम करने के लिए और कंट्रोल बनाए रखने के लिए पंखों के पीछे फ्लैप लगे होते हैं। जो लैंडिग के समय पूरी तरह से नीचे होते हैं। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर हादसे का कोई कारण नहीं बताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर या ब्लैक बॉक्स की जांच के बाद ही दुर्घटना के सही कारण का पता चल पाएगा। यति एयरलाइंस के एक अधिकारी के मुताबिक, एटीआर -72 विमान दुर्घटना के कारण को समझने के लिए फ्रांस की नौ सदस्यीय टीम भी पोखरा में एयरलाइंस के कर्मचारियों और संबंधित अधिकारियों से पूछताछ कर रही है। इसके साथ ही नेपाल सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।

हादसे के बाद दो वीडियो हुए थे वायरल
गौरतलब है कि इस हादसे के बाद दुर्घटना से संबंधित दो वीडियो वायरल हुए थे।  एक में विमान को तेजी से बायीं ओर जाते हुए और फिर एक स्टाल के पीछे गिरते हुए देखा जा सकता है। वहीं, दूसरा वीडियो घटना के कई घंटे बाद वायरल हुआ था। उसे एक भारतीय यात्री सोनू जायसवाल ने विमान के नीचे जाने से कुछ सेकंड पहले ही लाइव स्ट्रीमिंग किया था और विमान के भीतर की स्थिति को दिखाया था। इन वीडियो के आधार पर संकेत मिले हैं कि फ्लैप पूरी तरह से खुले नहीं थे। इसे देखते हुए विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि दुर्घटना होने का यह कारण भी हो सकता है। 

नेपाली मीडिया ने किया यह दावा
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, एटीआर के एक वरिष्ठ कैप्टन कुमार पांडे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वीडियो देखने के बाद मैं दंग रह गया। खिड़की से साफ देखा जा सकता है कि विमान के विंग फ्लैप का एक हिस्सा पूरी तरह से खुला नहीं था। इस बात की विस्तृत जांच होनी चाहिए। काठमांडू पोस्ट ने यह भी बताया कि 2007-08 में पांडे ने वही विमान उड़ाया था। ये विमान बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस ऑफ इंडिया का था। उन्होंने कहा कि वीडियो को देखने से पता चलता है कि पायलटों ने गड़बड़ की है। अगर ऐसा है, तो यह एक बड़ी लापरवाही है।  पायलटों ने बुनियादी चेकलिस्ट का पालन नहीं किया

30 डिग्री पर सेट किया जाना चाहिए फ्लैप
उन्होंने बताया कि आम तौर पर 160 समुद्री मील या 296 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पायलट लैंडिंग गियर को छोड़ता है। इस स्तर पर फ्लैप को 15 डिग्री पर तैनात किया जाना चाहिए। जब गति 150 समुद्री मील या 277 किलोमीटर प्रति घंटे से कम हो जाती है, तो फ्लैप को 30 डिग्री पर सेट किया जाना चाहिए। यह प्रक्रिया विमान को सुचारू लैंडिंग के लिए स्थिर करती है।  इस चरण में गति को कम करने के लिए फ्लैप को 30 डिग्री पर सेट किया जाना चाहिए, लेकिन वीडियो 15 डिग्री पर फ्लैप दिखाता है। 
विमान रविवार को हुआ था क्रैश
‘यति एयरलाइंस’ के 9एन-एएनसी एटीआर-72 विमान ने रविवार को पूर्वाह्न 10 बजकर 33 मिनट पर काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी। पोखरा हवाई अड्डे पर उतरते वक्त विमान पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में 55 नेपाली नागरिक, पांच भारतीय सहित 15 विदेशी नागरिक और चार चालक दल के सदस्य सवार थे।

पांच भारतीयों की हुई थी पहचान
भारतीयों की पहचान अभिषेक कुशवाहा (25), विशाल शर्मा (22), अनिल कुमार राजभर (27) सोनू जायसवाल (35) और संजय जायसवाल के तौर पर हुई है। ये सभी उत्तर प्रदेश के निवासी थे। खबर के अनुसार, 48 शवों को काठमांडू लाया गया था। स्थानीय लोगों और जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई तथा विदेशी नागरिकों के शवों के अलावा सभी शवों को मंगलवार दोपहर काठमांडू लाया गया। इन 48 शवों को महाराजगंज स्थित त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल में पोस्ट मार्टम के लिए नेपाल सेना के हेलीकॉप्टर में काठमांडू लाया गया।