छत्तीसगढ़

America-China: अमेरिका की वो मिसाइल, जिसने चीन के जासूसी गुब्बारे को एक झटके में मार गिराया, जानें इसकी खासियत

नईदिल्ली I अमेरिका ने चीन के संदिग्ध जासूसी गुब्बारे को मार गिराया है। शनिवार को फाइटर जेट की मदद से एक मिसाइल के जरिए गुब्बारे को मार गिराया गया। इस कार्रवाई को दक्षिण कैरोलिना के तट पर अंजाम दिया गया। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से अमेरिकी फाइटर जेट F-22 ने AIM-9X SIDEWINDER मिसाइल के जरिए एक झटके में संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया। मिसाइल लगते ही चीनी गुब्बारे के टुकड़े-टुकड़े हो गए। इस एक मिसाइल की कीमत करीब साढ़े तीन करोड़ है। आइए जानते हैं कि कैसे इस मिसाइल ने चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराया? इस मिसाइल की खासियत क्या है? जिस गुब्बारे से चीन जासूसी कर रहा था, वो क्या था?

पहले जानिए अब तक क्या-क्या हुआ? 
शुक्रवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ओर से खुलासा किया गया था कि चीन का एक जासूसी गुब्बारा कनाडा के बाद अमेरिका के आसमान में उड़ान भर रहा है। इतना ही नहीं शनिवार को सामने आया कि चीन का एक और जासूसी गुब्बारा लैटिन अमेरिका के ऊपर मौजूद है। माना जा रहा है कि चीन इन गुब्बारों के जरिए अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्र से अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहा है। इसी तरह का गुब्बारा कनाडा में भी देखा जा चुका है। इसको देखते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अगले हफ्ते के लिए तय अपनी चीन यात्रा को टाल दिया। आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर अमेरिकी वायुसेना ने चीन के इस जासूसी गुब्बारे को मार गिराया। इसके लिए अमेरिकी फाइटर जेट F-22 का इस्तेमाल हुआ। इस फाइटर जेट की मदद से जासूसी गुब्बारे पर AIM-9X SIDEWINDER मिसाइल से हमला किया गया और उसे नष्ट कर दिया गया। 

ये जासूसी गुब्बारे हैं क्या? 
मोंटाना के ऊपर जो जासूसी गुब्बारा पाया गया, उनका इतिहास दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ा है। दरअसल, कैप्सूल के आकार के यह बैलून कई वर्ग फीट बड़े होते हैं। यह आमतौर पर जमीन से काफी ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता रखते हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर इनका इस्तेमाल मौसम से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए किया जाता रहा है। खासकर किसी एक तय क्षेत्र के मौसम को जानने के लिए। हालांकि, आसमान में जबरदस्त ऊंचाई पर उड़ने की अपनी इन्हीं क्षमताओं की वजह से इनका इस्तेमाल जासूसी के लिए भी किया जाने लगा। 

यह गुब्बारे जमीन से 24 हजार से 37 हजार फीट की ऊंचाई पर आसानी से उड़ सकते हैं, जबकि चीन का यह गुब्बारा अमेरिका के ऊपर 60 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। इसके चलते जमीन से इनकी निगरानी कर पाना काफी मुश्किल है। इनके उड़ने की यह रेंज कमर्शियल विमानों से काफी ज्यादा है। अधिकतर वाणिज्यिक एयरक्राफ्ट्स 40 हजार फीट की ऊंचाई तक नहीं जाते। इतनी रेंज पर उड़ान भरने की क्षमता फाइटर जेट्स की ही होती है, जो कि 65 हजार फीट तक जा सकते हैं। हालांकि, यू-2 जैसे कुछ और जासूसी विमान 80 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं।

सैटेलाइट से ज्यादा बेहतर जासूसी यंत्र हैं ऐसे गुब्बारे
अमेरिकी वायुसेना के एयर कमांड और स्टाफ कॉलेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह जासूसी गुब्बारे कई बार सैटेलाइट्स से भी ज्यादा बेहतर खुफिया यंत्र साबित होते हैं। दरअसल, यह सैटेलाइट के मुकाबले ज्यादा आसानी से और समय लेकर किसी क्षेत्र को स्कैन कर सकते हैं। इनके जरिए इन्हें भेजने वाले देश दुश्मन के खिलाफ ऐसी संवेदनशील खुफिया जानकारी जुटा सकते हैं, जो कि सैटेलाइट की दूरी की वजह से स्कैन करना मुश्किल है। इतना ही नहीं सैटेलाइट्स के जरिए किसी एक क्षेत्र पर नजर रखना काफी महंगा भी साबित हो सकता है, क्योंकि इसके लिए काफी कीमत वाले स्पेस लॉन्चर्स की जरूरत होती है। दूसरी तरफ जासूसी गुब्बारे सैटेलाइट से काफी कीमत में यही काम कर सकते हैं। 

अब जानिए कैसे अमेरिका ने इस गुब्बारे को मार गिराया? 
अमेरिका ने चीनी जासूसी गुब्बारे को अटलांटिक महासागर के ऊपर मार गिराया। इस गुब्बारे को अमेरिकी वायु सेना के एफ-22 रैप्टर विमान ने AIM-9X SIDEWINDER मिसाइल से नष्ट किया गया। इस एक मिसाइल की कीमत करीब साढ़े तीन करोड़ है। चीनी गुब्बारे को मारने के लिए अमेरिकी फाइटर जेट ने वर्जीनिया के लैंगली एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी थी। 

अब उस मिसाइल को जान लीजिए जिससे गुब्बारे को गिराया गया? 
AIM-9X SIDEWINDER अमेरिका की सबसे हाईटेक हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल है। इसे अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी रेथियॉन ने तैयार किया है। इस मिसाइल का इस्तेमाल अमेरिकी वायु सेना और नौसेना करती है। यह मिसाइल अपने लक्ष्य का पता लगाने के लिए इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल करती है। AIM-9X SIDEWINDER मिसाइल का प्रयोग दुनियाभर के कई देशों की सेना करती हैं।

AIM-9X को संयुक्त अमेरिकी नौसेना और अमेरिकी वायु सेना के कार्यक्रम के तहत बनाया गया था। AIM-9X मिसाइल का पहला टेस्ट मार्च 1999 में किया गया था। इसके बाद 1999 और 2000 के बीच अमेरिकी नौसेना के F/A-18 लड़ाकू विमान और अमेरिकी वायु सेना के F-15 लड़ाकू विमान से मिसाइल के अलग होने के 13 टेस्ट किए गए। इसके बाद से 12 टेस्ट मिसाइल फायरिंग को लेकर किए गए। इस टेस्ट के पूरा होने के बाद नवंबर 2000 में रेथियॉन को AIM-9X के सीमित उत्पादन की मंजूरी मिली। इस मिसाइल को नवंबर 2003 में हरी झंडी दी गई और बड़े पैमाने पर उत्पादन मई 2004 में शुरू हुआ। इसके बाद इसके अलग-अलग वर्जन तैयार हुए। रेथियॉन ने 2018 में AIM-9X साइडविंडर की रेंज को 60% तक बढ़ाया। 

IM-9X में एक अपग्रेडेड थ्रस्ट और वेक्टर कंट्रोल एयरफ्रेम लगा हुआ है। यह हाई परफॉर्मेंस स्टारिंग फोकल प्लेन एरे सेंसर का इस्तेमाल करता है और रॉकेट मोटर, वारहेड और AIM-9M के फ्यूज जैसे कंपोनेंट को एकीकृत भी करता है। इस मिसाइल का डिजिटल डिजाइन आर्किटेक्चर भविष्य की आवश्यकताओं के लिए बदलाव को अनुकूलित कर सकता है। AIM-9X साइडविंडर मिसाइल की लंबाई तीन मीटर, चौड़ाई 12.7 सेमी, फिन स्पैन 44.4 सेमी, पंख फैलाव 35.3 सेमी और वजन करीब 85 किलोग्राम है। यह 9.36 किलोग्राम के एनुनर ब्लास्ट फ्रेगमेंटेशन वारहेड को दस मील से अधिक की सीमा तक ले जा सकता है।

इन फाइटर जेट से इस मिसाइल का प्रयोग हो सकता है

  • E/A-18G
  • F/A-18C/D
  • F-15
  • F-15C
  • F/A-18E/F
  • F-15E
  • F-16
  • F-22 
  • F-35 
  • NASAM 
  • LAU-7 
  • LAU-12X