पटना : बिहार की राजनीति में आए दिन किसी न किसी नेता की बात से बवाल मचा रहता है। ऐसे में राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने फिर अपने विवादित बयान पर कायम रहने की बात कहकर विपक्ष को राजनीति करने का मुद्दा दे दिया है।
दरअसल, बिहार विधान सभा में बजट पेश होने के बाद शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि वे अपनी बात पर कायम है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस से कचरा को हटाना होगा।
बिना नाम लिए कुमार विश्वास पर साधा निशाना
उन्होंने कुमार विश्वास का नाम लिए बगैर कहा कि “आने वाले तो थे, ज्ञान को बेचने वाले लोग, चैरिटी शो करने वाले थे। क्यों नहीं आए?” तब लोग नहीं पढ़ते थे।
शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि अपमानजनक कही गई बातों को भी सम्मान व आशीर्वाद समझता था। अब गरीब-गुरबा पढ़-लिख गया है। शास्त्र का अर्थ समझ सकता है। हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत को भी पढ़ सकता है।
अब आपत्तिजनक और अपमानजनक बातों को आशीर्वाद और अमृत कैसे मान लें? बाबा साहब आंबेडकर और राम मनोहर लोहिया ने भी रामचरितमानस से कचरा हटाने कहा था। मैं लोहिया या आंबेडकर से बड़ा नहीं हूं।
रामचरितमानस पर विवादित बयान को लेकर विपक्ष रहा है हमलावर
रामचरितमानस पर विवादित बयान को बीजेपी शुरू से ही महागठबंधन सरकार पर हमलावर रही। इस दौरान विपक्षी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने नीतीश सरकार पर हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था।
बाद में सीएम नीतीश कुमार ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए किसी भी नेता को किसी के भी धर्मग्रंथ और मान्यताओं पर विवादित बयान देने से बचने को कहा था।
मंत्री के खिलाफ यहां दर्ज हुए थे परिवाद
शिक्षा मंत्री के खिलाफ सिविल कोर्ट गोपालगंज में दो मुकदमा दर्ज कराए गए थे। एक प्रकरण सिविल कोर्ट गोपालगंज के अधिवक्ता और भाजपा नेता मनीष किशोर नारायण ने तो वहीं, दूसरा मुकदमा सारण जिले के मसरख के निवासी तथा वर्तमान में बैकुंठपुर थाने के दिघवा दुबौली में रहने वाले उमेश कुमार सिंह ने दर्ज कराया था।
मुकदमे में आरोप लगाया गया कि मंत्री के इस तरह के दिए गए बयान से लोगों के साथ ही हिंदू धर्म को मानने वालों की आस्था को चोट पहुंची है।
गया में भी न्यायालय में दर्ज किए गए परिवाद
व्यवहार न्यायालय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में प्रदेश के शिक्षा मंत्री डा. चंद्रशेखर के खिलाफ मंगलवार को धारा 153 ए, 153 बी, 259 ए और 505 आइपीसी के तहत परिवाद दर्ज किया गया।
तीन परिवाद पत्र शिक्षा मंत्री के खिलाफ दर्ज कराए गए थे। पहला परिवाद भाजपा जिलाध्यक्ष धनराज शर्मा, दूसरा परिवाद पत्र चंदेश्वर मांझी, तीसरा परिवाद पत्र प्रशांत कुमार ने दायर किया था।
यह था पूरा विवाद
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने गत 11 जनवरी को नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के राजधानी पटना स्थित बापू सभागार में आयोजित विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपने भाषण में हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को सामाजिक नफरत फैलाने वाला बताया था।