मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट से रिलायंस एडीएजी समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को अंतरिम राहत मिली है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आयकर विभाग को निर्देश दिया कि वह कथित कर चोरी के मामले में काला धन अधिनियम के तहत रिलायंस एडीएजी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को जारी जुर्माना नोटिस पर 17 मार्च तक कोई कार्रवाई न करे।
न्यायमूर्ति जीएस पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने अंबानी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अंबानी ने अपनी याचिका में काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 के तहत उन्हें जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी थी। आयकर विभाग ने उन्हें 420 करोड़ रुपये की कथित कर चोरी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
अंबानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि आयकर विभाग ने कारण बताओ नोटिस को आगे बढ़ाने के लिए जुर्माना नोटिस जारी किया है। उन्होंने जुर्माने के नोटिस को चुनौती देने की मांग की और याचिका में संशोधन की अनुमति भी मांगी। अदालत ने इसकी अनुमति दे दी और आयकर विभाग को 17 मार्च को अगली सुनवाई तक कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
इससे पहले, हाईकोर्ट ने 26 सितंबर, 2022 को अंतरिम राहत के माध्यम से अंबानी को कारण बताओ नोटिस पर भी किसी कठोर कार्रवाई से बचाया था। आयकर विभाग ने 8 अगस्त, 2022 को दो स्विस बैंक खातों में रखे गए 814 करोड़ रुपये से अधिक के अघोषित धन पर कर के रूप में 420 करोड़ रुपये की कथित रूप से चोरी करने के लिए अंबानी को नोटिस जारी किया है।
नोटिस के अनुसार, अंबानी पर काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) 2015 के कर अधिनियम की धारा 50 और 51 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसमें जुर्माने के साथ अधिकतम 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान है। विभाग ने अंबानी पर “जानबूझकर” कर चोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने “जानबूझकर” अपने विदेशी बैंक खाते के विवरण का खुलासा नहीं किया।
अनिल अंबानी ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि काला धन अधिनियम 2015 में लागू किया गया था, जबकि कथित लेनदेन आकलन वर्ष 2006-2007 और 2010-2011 के थे।