छत्तीसगढ़

वनडे क्रिकेट हुआ उबाऊ, दिग्गज भी हुए बोर,अब सचिन तेंदुलकर ODI को बचाने लेकर आए हॉफ टेस्ट फॉर्मेट

नईदिल्ली : T20 की बढ़ती हुई लोकप्रियता के बीच में टेस्ट क्रिकेट को कैसे बचाया जाए, यह बहस लंबे समय से चली आ रही है और वनडे क्रिकेट भी अपनी प्रासंगिकता किस तरीके से बरकरार रखे। पिछले कुछ सालों में टेस्ट क्रिकेट को बचाने की जो कवायदें हुई हैं उनमें वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का आना, नतीजे देने वाली पिचों का बनना और खिलाड़ियों की रेड बॉल फॉर्मेट खेलने की मानसिकता का बदलना शामिल है। अब टेस्ट मैचों को लेकर इतनी बुरी स्थिति नहीं है जितनी इस समय वनडे क्रिकेट की है।

इस साल भारत में वर्ल्ड कप खेला जाना है जिस पर विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक ने तो यह तक कह दिया कि शायद यह आखिरी वनडे विश्वकप होने जा रहा है। सचिन तेंदुलकर ने भी वनडे फॉर्मेट को बोरिंग बताया है और कहा है कि अब इसमें बदलाव होने चाहिए। सचिन ने कहा कि मौजूदा वनडे क्रिकेट में एक पारी में ही दो नई गेंद इस्तेमाल होती है जिसके चलते आपको रिवर्स स्विंग भी देखने को नहीं मिलती और मिडिल ओवर में जब स्पिनर गेंदबाजी करने आते हैं तो अंदर के सर्कल में 5 फील्डर खड़े होते हैं जिसके चलते स्पिनरों के पास प्रयोग करने की आजादी खत्म हो जाती है। इन सब चीजों से गेम में एकरूपता आ गई है।

इससे पहले भारत की पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने भी बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान कमेंट्री करते हुए कहा था कि वनडे क्रिकेट अब 40 ओवर का हो जाना चाहिए क्योंकि 50 ओवर के फॉर्मेट को देखने के लिए भीड़ में उत्सुकता पैदा नहीं हो पा रही है। शास्त्री ने बताया था कि जब कपिल देव की अगुवाई में भारत ने पहली बार विश्व कप जीता था तब 1983 में वनडे क्रिकेट 60 ओवर का खेला जाता था लेकिन समय के साथ पब्लिक के लिए इस फॉर्मेट को और दिलचस्प बनाने के लिए यह 50 ओवर का कर दिया गया और अब फिर से इसको 40 ओवर का कर देना चाहिए क्योंकि आपको समय के साथ बदलना पड़ता है और इसीलिए इस फॉर्मेट को थोड़ा छोटा करने की जरूरत है।

सचिन तेंदुलकर का नया विचार-

वहीं सचिन तेंदुलकर अपनी ताजा बातचीत में बिल्कुल अलग विचार लेकर आए हैं जहां उनके हिसाब से वनडे क्रिकेट को टेस्ट मैच की तरह चार पारियों में खेला जाना चाहिए लेकिन यह एक ही दिन में समाप्त होगा। इसके लिए मौजूदा दो पारियों की जगह 4 पारियां वनडे क्रिकेट में कर देनी चाहिए और इन चार पारियों में दोनों टीमों को 25-25 ओवर खेलने के लिए मिलेंगे। जहां टेस्ट क्रिकेट में आपको 20 विकेट आउट करने होते हैं लेकिन वनडे में एक टीम को जीतने के लिए 10 ही विकेट आउट करने की जरूरत होगी। अगर कोई टीम 25 ओवर में आउट हो जाती है तो अगले 25 ओवर में उनकी फिर से बैटिंग नहीं आएगी। सचिन मानते हैं ऐसा करने से टॉस और उसके प्रभाव को आप काफी हद तक कम कर देंगे क्योंकि दोनों ही टीमों को बराबर बल्लेबाजी और गेंदबाजी करने का मौका हासिल होगा।

बेन स्टोक्स ने तो वनडे से संन्यास ले लिया है-

फिलहाल कोई टीम टॉस जीतती है तो ओस के हालातों में बाद में गेंदबाजी करने वाली टीम को बहुत नुकसान होता है। कई बार तो टॉस जीतकर ही मैच आधे जीत लिए जाते हैं। इससे पहले इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने भी वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया था क्योंकि उनका मानना था कि तीनों फॉर्मेट खेलना लंबे समय तक चलने वाला नहीं है और आपको अपने करियर को लंबा खींचने के लिए किसी एक फॉर्मेट को विदा देना जरूरी होगा। बेन स्टोक्स ने तब कहा था कि वनडे फॉर्मेट को दिलचस्प बनाने के लिए आप इसे 40 ओवर का भी कर सकते हैं। स्टोक्स अब टेस्ट क्रिकेट को वनडे की तरह से खेलते हैं। वे टी20 में भी सक्रिय हैं।

टी20 इंटरनेशनल को बिल्कुल कम करने का सुझाव-

ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा ने भी कहा था कि वनडे क्रिकेट एक धीमी मौत मर रहा है तो वहीं पाकिस्तान के महान गेंदबाज वसीम अकरम ने कहा था कि टेस्ट क्रिकेट T20 का जरूरत से ज्यादा खींचा हुआ फॉर्मेट है। वही रवि शास्त्री ने यह भी कहा था कि T20 इंटरनेशनल को बहुत कम कर देना चाहिए और केवल आईसीसी के मल्टी नेशन नेशनल इवेंट में ही यह प्रतियोगिता की जानी चाहिए क्योंकि दुनिया भर की T20 लीग में यह फॉर्मेट खेला ही जा रहा है। वनडे क्रिकेट को बचाने की कवायद में इस पर भी ध्यान देने की कोशिश की जा रही है कि T20 फॉर्मेट को इंटरनेशनल लेवल पर कम या बिल्कुल खत्म कर देना चाहिए क्योंकि आईपीएल, पीएसएल, सीपीएल, बिग बैश में वैसे ही अच्छी क्वालिटी का टी20 खेला जा रहा है।