नईदिल्ली : कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पिछले कुछ महीने में ऐसी झूठी कहानियां गढ़ने की कोशिश की गई हैं कि सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव है। उन्होंने कहा, विचार की भिन्नता लोकतंत्र का आंतरिक हिस्सा है और इसे टकराव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
रिजिजू शुक्रवार को गौहाटी हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, आज जब देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है तब यह महत्वपूर्ण है कि सरकार की सभी तीन शाखाएं सौहार्द से काम करें।
रिजिजू ने इस बात पर चिंता जताई कि कुछ लोग देश को विकास करते नहीं देख सकते और ऐसे लोग डिजिटल, सोशल और इलेक्ट्रोनिक मीडिया का इस्तेमाल कर कानून निर्माताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि समाज में बिना जानकारी के होने वाली बहसें कई बार कानून निर्माताओं को भी ऐसे स्वार्थी ताकतों का शिकार बना देती हैं। कानून मंत्री ने कहा कि भारत का तेज विकास और शक्तिशाली देश के रूप में उसके उभरने ने कुछ लोगों के अंदर चिंता भर दी है।
सीजेआई बोले- कानून में मानवता का स्पर्श जरूरी
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि सभी लोगों के हितों की सेवा के लिए कानून में मानवता का स्पर्श होना चाहिए और समस्याओं की जड़ों को दूर करने के लिए हमेशा संवेदनशीलता के साथ इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गौहाटी उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जयंती समारोह में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून को उन समुदायों की वास्तविकताओं को ध्यान में रखना चाहिए जहां इसे लागू करने की मांग की गई है।
साथ ही कहा कि जब कानून की समझदारी से व्याख्या की जाती है और उसे लागू किया जाता है, तो लोगों को सामाजिक संरचना में विश्वास होता है और यह न्याय की प्राप्ति की दिशा में एक कदम आगे है। न्यायपालिका की वैधता उस विश्वास और भरोसे में निहित है जो वह लोगों से प्राप्त करता है, जो बदले में न्यायिक स्वतंत्रता पर निर्भर करते हैं।
सीजेआई ने कहा कि कानून को मानवता के स्पर्श से ओतप्रोत किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए एक मानवीय स्पर्श आवश्यक है कि कानून सभी के हितों की सेवा करता है। समानता और विविधता के लिए सहानुभूति और सम्मान होना चाहिए।