छत्तीसगढ़

ऐसा नहीं हो सकता कि कोई हल किए गए मुद्दे को बार-बार उठाता रहे, SC ने याचिकाकर्ता पर लगाया 10 हजार का जुर्माना

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी कानूनी प्रणाली में ऐसा परिदृश्य नहीं हो सकता, जहां कोई किसी मुद्दे को शीर्ष स्तर पर हल किए जाने के बाद बार-बार उठाता रहे। शीर्ष अदालत ने इसे न्यायिक समय की पूरी तरह बर्बादी करार दिया और याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था और मामला 2004 में बंद हो गया था। इस मामले में एक पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई थी। जस्टिस एसके कौल और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर नहीं किया है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की है। इसमें दावा किया गया है कि उसके साथ अन्याय हुआ और मामले को फिर से खोला जाना चाहिए।

संविधान का अनुच्छेद 32 लोगों को न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार देता है, जब उन्हें लगता है कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी कानूनी प्रणाली में ऐसा परिदृश्य नहीं हो सकता है, जहां कोई व्यक्ति शीर्ष स्तर पर हल हो जाने के बाद बार-बार मुद्दे को उठाता रहे। हम याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने के साथ याचिका को खारिज करते हैं। याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, इसलिए हम जुर्माना की राशि को सीमित करते हैं।