नई दिल्ली। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की फुल तैयारी हो चुकी है। द ओवल के मैदान पर भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीम टेस्ट क्रिकेट की बादशाहत हासिल करने के लिए एक-दूसरे से भिड़ने को तैयार हैं। कागज पर दोनों ही टीम काफी दमदार नजर आ रही हैं और दोनों के पास ही स्टार खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में खिताबी मुकाबले में जीत किसके हाथ लगेगी यह कहना बेहद मुश्किल है, लेकिन इंग्लैंड की धरती पर 7 से लेकर 12 जून के बीच फुल एंटरटेनमेंट होगा इस बात की गारंटी है।
कैसी खेलती है ओवल की पिच?
ओवल की पिच पर बल्लेबाजों का आमतौर पर बोलबाला रहता है। पिछले दस साल में इंग्लैंड के बाकी मैदानों की मुकाबले टेस्ट में सबसे तेजी से रन इसी मैदान पर बने हैं। हालांकि, यह पहला मौका है, जब ओवल में कोई टेस्ट मैच पहली बार जून में खेला जा रहा है। ऐसे में पिच एकदम फ्रेश होगी और शुरुआत में तेज गेंदबाजों को काफी मदद भी मिल सकती है।
तेज गेंदबाज होंगे असरदार?
ओवल की पिच पर तेज गेंदबाज भी अहम योगदान देते हैं। इंग्लैंड के इस ग्राउंड पर हर 54वीं गेंद या फिर 30 रन बनने के बाद आमतौर पर एक विकेट गिरता है। शुरुआती दो पारियों में फास्ट बॉलर्स असरदार साबित होते हैं। वहीं, तीसरी और चौथी पारी में स्पिन गेंदबाज अपनी फिरकी का जाल बुनते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
ओवल के मैदान पर अब तक कुल 104 टेस्ट मैच खेले गए हैं, जिसमें से पहले बैटिंग करने वाली टीम ने 88 मैचों में जीत का स्वाद चखा है। वहीं, टॉस जीतकर पहले बॉलिंग करने वाली टीम सिर्फ 29 मैचों में ही मैदान मार सकी है। यानी टॉस डब्ल्यूटीसी फाइनल में अहम रोल अदा कर सकता है।