मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी पर मानहानि मामले में राहत दी है। हाई कोर्ट ने एक शिकायत के मामले में एक अदालत के समक्ष पेश होने से मिली अंतरिम राहत की अवधि दो अगस्त तक बढ़ा दी है।
भाजपा कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में राहुल गांधी की “कमांडर-इन-चोर” टिप्पणी मानहानि के समान है। न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की सिंगल बेंच ने शिकायतकर्ता के वकील द्वारा समय मांगे जाने के बाद 2021 में स्थानीय अदालत द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती देने वाली गांधी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति कोतवाल ने कहा, “पहले दी गई अंतरिम राहत दो अगस्त तक जारी रहेगी।” इससे पहले, महेश श्रीमल द्वारा दायर एक मानहानि शिकायत में गांधी को स्थानीय अदालत ने नवंबर 2021 में पेश होने का निर्देश दिया था।
इसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें जारी समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने नवंबर 2021 में मजिस्ट्रेट को मानहानि की शिकायत पर सुनवाई टालने का निर्देश दिया, जिसका अर्थ था कि कांग्रेस नेता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने की आवश्यकता नहीं होगी।
उसके बाद से गांधी की याचिका पर सुनवाई समय-समय पर स्थगित होती रही और उन्हें दी गई अंतरिम राहत की अवधि भी बढ़ाई गई। मजिस्ट्रेट ने अगस्त 2019 में गांधी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की। हालांकि, कांग्रेस नेता ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में दावा किया कि उन्हें इसके बारे में जुलाई 2021 में ही पता चला।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने सितंबर 2018 में राजस्थान में आयोजित एक रैली में पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया था। शिकायत के अनुसार, रैली के चार दिन बाद गांधी ने कथित तौर पर एक वीडियो पर टिप्पणी की और अपने निजी ट्विटर अकाउंट पर भी पोस्ट किया।