नईदिल्ली : एक समय वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी का मिश्रण कहे जाने वाले विस्फोटक बल्लेबाज पृथ्वी शॉ लंबे वक्त से टीम इंडिया से बाहर हैं. अपने करियर की शानदार शुरुआत के बाद पृथ्वी शॉ अब भारतीय टीम में जगह बनना की दौड़ में काफी पिछड़ गये हैं, लेकिन मुंबई के इस युवा खिलाड़ी ने शनिवार को कहा कि वह राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह वापस हासिल करने के लिए अपने स्वाभाविक ‘आक्रामक’ खेल पर भरोसा करना जारी रखेंगे.
शॉ ने भारत के लिए अपना पिछला मैच जुलाई 2021 में खेला था. जब वह श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में ब्लू जर्सी में टी20 इंटरनेशनल मैच खेले थे. शॉ आईपीएल 2023 में भी बल्ले से कमाल नहीं कर सके थे.
शॉ ने मध्य क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र के बीच खेले गए दिलीप ट्रॉफी के मैच के बाद कहा, “व्यक्तिगत तौर पर मैं ऐसा नहीं मानता हूं कि मुझे अपने खेल में बदलाव करने की जरूरत है. हां , मैं अपने खेल में समझदारी के साथ सुधार कर सकता हूं. मैं (चेतेश्वर) पुजारा सर की तरह बल्लेबाजी नहीं कर सकता या पुजारा सर मेरी तरह बल्लेबाजी नहीं कर सकते.”
पश्चिम क्षेत्र के इस सलामी बल्लेबाज ने कहा, “मैं उसी चीज को करने की कोशिश कर रहा हूं, जिसकी मदद से यहां तक पहुंचा हूं. उदाहरण के तौर पर मेरी आक्रामक बल्लेबाजी. मैं इसमें बदलाव नहीं करना चाहता हूं.”
शॉ ने कहा कि वह अपने करियर के इस चरण में अधिक से अधिक मैच खेलना चाह रहे हैं. इस 23 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि भारतीय टीम में वापसी की कोशिश के तहत उनके लिए हर रन बहुत महत्वपूर्ण होगा.
इस सलामी बल्लेबाज ने कहा, “मुझे लगता है कि इस समय मुझे जिस मैच में भी खेलने का मौका मिला रहा है वो मेरे लिए काफी अहम है. मैं दिलीप ट्रॉफी में खेलूं या मुंबई के लिए मैच खेलूं, मुझे लगता है कि मेरे लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना बहुत महत्वपूर्ण है.”
शॉ दिलीप ट्रॉफी के सेमीफाइनल की दोनों पारियों में अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलने में नाकाम रहे. उन्होंने 25 और 26 रन की पारी खेली. शॉ ने कहा कि यहां बल्लेबाजों के लिए परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण थीं, लेकिन उनके पास इससे निपटने के लिए योजना थी. उन्होंने कहा, यह संभव नहीं है कि आप हमेशा परफेक्ट रहें. इस तरह की चीजें होने (रन नहीं बनने) के बाद मैं और अधिक मेहनत करने की कोशिश करता हूं. टी20 थोड़ा अधिक आक्रामक रवैया अपनाना होता है, लेकिन मानसिकता ऐसी ही होती है.