छत्तीसगढ़

लाखों हिंदू औरतें हैं दूसरी बीवी, लिव-इन वालों को हक पर सेकेंड वाइफ का कोई कानूनी दर्जा नहीं, UCC में इनका होगा क्‍या?

नईदिल्ली : देश में इस समय समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बहस तेज है. पीएम मोदी के इसकी वकालत करने के बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. एक पक्ष इसका समर्थन कर रहा है तो दूसरा विरोध में है. मुसलमान संगठनों ने एक सुर में इसका विरोध किया है. वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं, जो इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC की असल तस्वीर क्या होगी, ये तो तब भी पता चलेगा, जब इसका ड्राफ्ट बनकर सामने आएगा, लेकिन जैसा कि इसके नाम से ही मालूम पड़ता है कि इसमें देश के सभी नागरिकों के लिए एक कानून होगा. पीएम मोदी भी अपने भाषण में ये बात कह चुके हैं कि जब एक घर में दो कानून हों तो घर नहीं चल सकता, ऐसे में दो कानून के साथ देश कैसे चलेगा?

दूसरी पत्नी को अभी कोई कानूनी दर्जा नहीं

UCC में एक कानून की बात होती है तो इसकी चर्चा जरूर होती है कि देश में सभी के लिए शादी का एक नियम होगा. हालांकि, अभी इस बारे में भी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि सभी को केवल एक शादी की इजाजत होगी और पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी नहीं हो सकेगी. ये बात तार्किक रूप से सही लगती है लेकिन अगर ऐसा होता है तो इसमें एक व्यवहारिक समस्या है. 

केवल एक शादी को मान्यता देने के बाद उन लाखों हिंदू औरतों के सामने सवाल खड़ा हो जाएगा जो दूसरी बीबी बनकर रह रही हैं. यहां ध्यान देने की बात है कि वर्तमान में लागू हिंदू कोड बिल के तहत भी हिंदुओं को पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं है, लेकिन बड़ी संख्या में हिंदू पुरुषों ने दूसरी शादी की है, उनकी दूसरी पत्नियों को कोई कानूनी दर्जा नहीं है.

UCC में दूसरी पत्नी के लिए क्या?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कानून और संविधान पढ़ाने वाले प्रोफेसर फैजान मुस्तफा कहते हैं, यूसीसी में इस बात पर भी सोचना होगा कि अगर किसी ने दूसरी शादी कर ली तो दूसरी पत्नी के क्या अधिकार होंगे. उन्होंने दावा किया कि देश में लाखों हिंदू औरतें दूसरी बीवी बनकर रह रही हैं. फैजान मुस्तफा अपनी बात को समझाते हुए बताते हैं कि कानून बन जाने से समस्या नहीं हल हो जाती. मान लीजिए, सरकार ने कानून बना दिया कि दूसरी शादी नहीं हो सकती, उसके बाद भी किसी ने कर ली, तो दूसरी पत्नी का क्या होगा?

साथ ही उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप का भी जिक्र किया. कहा कि दूसरी शादी करने की क्या जरूरत है. आजकल लिव-इन रिलेशनशिप का चलन भी बढ़ा है. लोग लिव-इन में रह सकते हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि लिव-इन में रहने वाले को तो अधिकार मिलेंगे लेकिन दूसरी शादी से बनी पत्नी को ऐसा कोई अधिकार नहीं मिलेगा, तो ये कैसा होगा?

लिव-इन और शादी में फर्क

फैजान मुस्तफा का कहना है कि जब शादी होती है तो वो एक वैध पत्नी पत्नी बन जाती है, तो उसे लेकर आपकी जिम्मेदारी तय हो जाती है. आपको उसे घर देना होता है, खर्च देना होता है, आपकी प्रॉपर्टी में उसे हिस्सा मिलता है, लेकिन जब शादी को मान्यता नहीं मिलती तो कोई अधिकार नहीं मिलता. ऐसे में में जो दूसरी पत्नी या लिव-इन में रह रहीं महिलाएं हैं, वे चाहेंगी कि उन्हें भी मान्यता मिले.