छत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश- भ्रामक विज्ञापनों पर तीन साल में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करें

नईदिल्ली : पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण मौजूद रहे। कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को फटकार लगाते हुए कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है, जबकि चार अंगुलियां उन पर इशारा कर रही हैं। बता दें, इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

एफएमसीजी भी भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं, जिससे विशेष रूप से शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का उपभोग करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को तीन साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें हैं। आईएमए को अपने कथित अनैतिक कृत्यों के संबंध में भी अपनी स्थिति दुरुस्त करनी होगी, जहां ऐसी दवाएं लिखी जाती हैं जो महंगी और अनावश्यक हैं। 

पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार को इस मामले पर जागना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह (मामले में) सह-प्रतिवादी के रूप में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सवाल पूछ रहा है। देश भर के राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी पार्टियों के रूप में जोड़ा जाएगा और उन्हें भी कुछ सवालों के जवाब देने होंगे।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है, जबकि चार अंगुलियां उन पर इशारा कर रही हैं। आईएमए से सुप्रीम कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं। अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर सवाल क्यों नहीं उठाना चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को करेगी। कोर्ट का कहना है कि यह किसी विशेष पार्टी के लिए हमला करने के लिए नहीं है, यह उपभोक्ताओं या जनता के व्यापक हित में है कि उन्हें कैसे गुमराह किया जा रहा है और सच्चाई जानने का उनका अधिकार है और वे क्या कदम उठा सकते हैं।

19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी
इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनकी माफी का संज्ञान लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि इस स्तर पर रियायत देने का फैसला नहीं किया है। पीठ ने बालकृष्ण से कहा था, ‘आप अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन आप एलोपैथी को नीचा नहीं दिखा सकते।’ वहीं, रामदेव ने अदालत से कहा था कि उनका किसी भी तरह से अदालत का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। हालांकि, पीठ ने बालकृष्ण से कहा था कि वे (पतंजलि) इतने निर्दोष नहीं हैं कि उन्हें पता ही न हो कि शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपने पहले के आदेशों में क्या कहा था।