नईदिल्ली I युवा पीढ़ी की शादी और इसकी पवित्रता को लेकर बदलती सोच पर केरल हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक, जस्टिस सोफी थॉमस की सम्मिलित बेंच ने कहा है कि, ‘यूज एंड थ्रो‘ कल्चर ने वैवाहिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, युवा पीढ़ी शादी को एक बुराई के तौर पर देख रही है. बेंच ने कहा कि युवा पीढ़ी शादी संबंध में बंधने से बच रही है ताकि वह जिम्मेदारियों और दायित्वों से बच सकें. बेंच के अनुसार आज कल की युवा पीढ़ी वाइफ (WIFE) को ‘Worry Invited For Ever’ कहते हैं.
बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले हम वाइफ (WIFE) ‘Wise Investment For Ever.’ दरअसल हाईकोर्ट ने युवा पीढ़ी की सोच बताते हुए कहा है कि वाइफ का पहले एक समझदारी भरे इनवेस्टमेंट से की जाती थी. जबकि अब इसके मायने बदल गए हैं और अब इसे पूरी लाइफ के लिए चिंता को इनवाइट करने से होता है.
कंज्यूमर कल्चर को बताया वजह
हाईकोर्ट ने कहा, ऐसा लग रहा है कि ‘यूज एंड थ्रो’ कल्चर ने हमारे शादीशुदा जीवन को काफी प्रभावित किया है. लिव इन रिलेशनशिप का कल्चर बढ़ रहा है. ताकि जब वह अलग हों तो आसानी से ‘गुड बाय’ कह सकें. बेंच ने ऑब्जर्व किया कि, ‘केरल को अपने परिवारिक संबंधों के बारे में जाना जाता था, लेकिन वर्तमान में जो ट्रेंड चल रहा है उसमें युवा पीढ़ी स्वार्थ की वजह से, बेकार कारणों से, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की वजह से, यहां तक की अपने बच्चों से बेखबर वैवाहिक संबंध तोड़ने में लगी है. ‘
शक करने की वजह से पति ने मांगा तलाक
दरअसल होईकोर्ट की बेंच एक पति-पत्नी के मामले में सुनवाई कर रह थी. इस मामले में पति ने कोर्ट में तलाक की डिमांड की थी और उसका कारण पत्नी का शक्की होना और गलत व्यवहार करना बताया है. दंपती के 3 बच्चे हैं और उन्होंने क्रिश्चियन रीति-रिवाज से शादी की थी. फिलहाल वह सउदी अरबिया में रह रहे हैं. पति ने पत्नी पर आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी उसके साथ गलत व्यवहार करती है और उसके अवैध संबंध होने पर शक करती है. इन आरोपो के खिलाफ पत्नी का कहना है कि वह कभी भी हिंसक नहीं हुई और न ही कभी अपने पति के साथ मारपीट की है.
शक करना पत्नी का स्वभाव
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि ‘अगर पत्नी के पास कोई वैध कारण है शक करने के लिए और अगर वह सवाल करती है और अपना दुख और दर्द जताती है तो इसे व्यवहार संबंधी असामानता नहीं कहा जा सकता है. एक पत्नी के लिए यह एक आम व्यवहार है.’
हाईकोर्ट ने हिदायत दी कि कोई व्यक्ति अपने ‘इललीगल एक्टिविटीज’ को ‘लीगलाइजीज’ करने नहीं आ सकते. पत्नि पत्नि के बीच सामान्य झगड़ों को क्रूरता नहीं कहा जा सकता है और उन्हें तलाक के लिए एक वाजिब कारण नहीं माना जा सकता है.