नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड को शनिवार 3 सितंबर को जेल से रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को यह जमानत 2002 के गुजरात दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के आरोप में दी है. उनको 25 जून को गिरफ्तार किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड की जमानत याचिका को सूचीबद्ध करने में देरी को लेकर गुरूवार को गुजरात हाईकोर्ट के खिलाफ सख्त टिप्पणियां की थी. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस एस. रवीन्द्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सीतलवाड को गुजरात हाईकोर्ट में नियमित जमानत याचिका पर फैसला आने तक अपना पासपोर्ट निचली अदालत के पास जमा कराने का निर्देश दिया.
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड से गुजरात देंगे में अवैध रूप से लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के आरोपों की जांच में संबंधित एजेंसी के साथ सहयोग करने को कहा. पीठ ने सीतलवाड की अंतरिम जमानत मंजूर करते हुए कहा कि एक महिला पिछले 25 जून से हिरासत में है. हिरासत के दौरान पूछताछ संबंधी जरूरी चीजें पूरी हो गई हैं ऐसे में अंतरिम जमानत पर सुनवाई होनी चाहिए थी.
न्यायालय ने कहा कि सीतलवाड सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में थी. पीठ ने कहा कि चूंकि हाई कोर्ट के पास यह मामला लंबित है, इसलिए वह जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम केवल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि ऐसी अर्जी लंबित होने के दौरान क्या अपीलकर्ता को हिरासत में ही रखा जाना चाहिए या उनको अंतरिम जमानत पर छोड़ देना चाहिए. हम उनकी अंतरिम जमानत मंजूर करते हैं.
एससी ने गुजरात हाईकोर्ट पर क्यों कसे तंज?
सुप्रीम कोर्ट अदालत ने गुरुवार को गुजरात हाईकोर्ट में सीतलवाड की जमानत याचिका को सूचीबद्ध करने में देरी का कारण जानना चाहा था और पूछा था कि क्या ‘इस महिला को अपवाद समझा गया है.’ न्यायालय ने इस बात पर भी अचरज जाहिर किया था कि आखिरकार हाईकोर्ट ने सीतलवाड की जमानत अर्जी पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के छह हफ्ते बाद 19 सितंबर को याचिका सूचीबद्ध क्यों की.
जकिया जाफरी मामले में शीर्ष अदालत के 24 अगस्त के फैसले के बाद सीतलवाड के खिलाफ दर्ज मामले का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि आज यह मामला जहां पहुंचा है, वह केवल सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ हुआ उसकी वजह से है.
कब गिरफ्तार की गईं थी सीतलवाड?
सीतलवाड को फैसला सुनाये जाने के एक दिन बाद 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड की जमानत याचिका पर तीन अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस जारी करके मामले की सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख मुकर्रर की थी. गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा के निकट साबरमती एक्सप्रेस का एक कोच जलाये जाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक मारे गये थे, जिसके बाद गुजरात में दंगे फैल गये थे.
क्या था अहमदाबाद की अदालत का रुख?
अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को इस मामले में सीतलवाड और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति आरोप भी लगा सकता है और उसका दोष माफ भी किया जा सकता है.
सीतलवाड और श्रीकुमार पर गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप लगाया गया है. वे साबरमती केंद्रीय कारावस में बंद हैं. श्रीकुमार ने भी जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मामले के तीसरे आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है. भट्ट पहले से ही एक अन्य आपराधिक मामले में जेल में थे, जब उनको इस मामले में गिरफ्तार किया गया था.
कौन किया गया था गिरफ्तार?
भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 194 (फांसी की सजा वाले अपराधों के लिए सजा हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत गढ़ना) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जून में अहमदाबाद शहर की अपराध शाखा द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया था. शीर्ष अदालत द्वारा जाफरी की याचिका खारिज किये जाने के कुछ ही दिनों के भीतर मुंबई के सीतलवाड और श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था.