छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : काकलूर-दाबपाल के बीच 21 किमी में बिछी पटरियां, किरंदुल-विशाखापट्टनम रेल मार्ग का अफसरों ने किया निरीक्षण; दोहरीकरण के बाद नहीं थमेंगे यात्री ट्रेनों के पहिये

जगदलपुर I छत्तीसगढ़ के बस्तर में किरंदुल-विशाखापट्टनम रेलवे लाइन दोहरीकरण का कार्य चल रहा है। इस मार्ग में दाबपाल-काकलूर के बीच करीब 21 किमी तक पटरियां बिछाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसका निरीक्षण पुश ट्रॉली से सीआरएस और उनके साथ आई तकनीकी टीम ने किया। जांच के बाद टीम ने एक रिपोर्ट बनाई है, जिसे बड़े अधिकारियों को सौंपा जाएगा।

रेलवे के अफसरों के मुताबिक, ट्रैक का तकनीकी निरीक्षण करने के बाद अंतिम रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपे जाने की बात कही है। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव रही तो 21 किलोमीटर लंबे इस नए रेलवे ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। साउथ ईस्टर्न सर्किल के सीआरएस एएम चौधरी के साथ तकनीकी अधिकारियों की टीम भी यहां 6 सितंबर की शाम से पहुंची हुई है।

कई तरह की मशीनों का किया गया उपयोग

सीआरएस जिस स्पेशल ट्रेन से यहां पहुंचे हैं, उसमें कई तरह की आधुनिक मशीनें लगी हैं, जिसका उपयोग परीक्षण के दौरान किया जाता है। आमतौर पर ट्रैक पर दौड़ने की स्पीड, ट्रेन के चलते समय लगने वाले झटके की परख की जाती है। इस तरह के परीक्षणों को आधार बनाकर ही निरीक्षण किया जाता है और इस बारे में रिपोर्ट सौंपी जाती है।

निर्धारित समय से लेट है काम

जगदलपुर से किरंदुल के बीच करीब 120 किमी तक रेलवे लाइन दोहरीकरण का काम साल 2014 में शुरू हुआ था, जो 2016 तक पूरा किया जाना था। काम की गति धीमी थी। इसलिए समय बढ़ाकर साल 2018 कर दिया गया। जिसके बावजूद अब साल 2022 तक भी काम पूरा नहीं हो पाया है। रेलवे लाइन दोहरीकरण में जिन जगहों पर घने जंगल और घाट हैं वहां का काम काम थोड़ा लेट हो रहा है।

वन विभाग इसलिए नहीं दे रहा था अनुमति

वन विभाग की तरफ से क्लीयरेंस नहीं मिलने की वजह से रेलवे लाइन दोहरीकरण के काम में विलंब हुआ है। दक्षिण भाग के जिस इलाके की सबसे अधिक कटाई की जानी थी वो घने जंगल वाला इलाका है। इस इलाके में सबसे अधिक पेड़ों को काटना पड़ता। इसी वजह से रेलवे, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के क्लीयरेंस के इंतजार में था। हालांकि, अब तक कुछ हिस्से तक टुकड़ों में काम हुआ है।

होगा यह फायदा

किरंदुल से जगदलपुर के बीच सिंगल लाइन में सिग्नल नहीं मिलने की वजह से पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया जाता है और मालगाड़ी को पहली प्राथमिकता देकर जाने दिया जाता है। मालगाड़ियों में किरंदुल से लौह अयस्क की सप्लाई विशाखापट्टनम के लिए होती है। जिससे सरकार को बड़ी आमदनी होती है। जब रेलवे लाइन दोहरीकरण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा तो पैसेंजर ट्रेनों को दूसरे ट्रैक से रवाना किया जा सकेगा।