नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर जजों के बीच मतभेद की स्थिति बनती दिख रही है. देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई के लिए मुकदमों की लिस्टिंग की नई व्यवस्था न्यायाधीशों को नहीं भा रही है. पद संभालने के बाद जब प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित लिस्टिंग का नया सिस्टम लेकर आए तो कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने इसकी आलोचना कर दी और कहा कि मामलों के निपटान के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल रहा है.
जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच ने आदेश में लिखा कि मामलों पर गौर करने के लिए कोर्ट के जजों को पर्याप्त समय ही नहीं मिल पा रहा है. उनका कहना है कि इसके लिए नया लिस्टिंग सिस्टम जिम्मेदार है. बेंच ने अपने फैसले में कहा कि मामलों को सूचीबद्ध करने के वर्तमान सिस्टम के अनुसार, दोपहर के सत्र में बहुत सारे मामले होते हैं जो अंतिम निपटान के लिए तय किए गए मामलों को लेकर बेंच के पास बहुत कम समय बचता है. बेंच ने कोर्ट में गैर-विविध दिनों (मंगलवार, बुधवार तथा गुरुवार) को मामलों की लिस्टिंग की नई प्रणाली की आलोचना की.
‘सुनवाई को नहीं मिल रहा पर्याप्त समय’
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की बेंच ने दो दिन पहले मंगलवार को ‘नागेश चौधरी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य’ मामले की सुनवाई के बाद दिए फैसले में यह टिप्पणी की. उन्होंने मामले की सुनवाई को 15 नवंबर तक टालने का आदेश भी जारी कर दिया. जस्टिस कौल के लिखित आदेश में कहा गया, “नए लिस्टिंग सिस्टम में सुनवाई के लिए पहले से तय मामलों पर विचार के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है जैसा कि मौजूदा मामले में हुआ. इसकी बड़ी वजह दोपहर बाद के सत्र में कई मामलों का आना है.
जस्टिस एनवी रमन्ना के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर होने के बाद जस्टिस यूयू ललित देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश बने. रिटायर होने के बाद जस्टिस रमन्ना ने कहा था कि कई वकील ऐसी शिकायत करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए नई याचिकाओं की लिस्टिंग नहीं हो पाती है. और वह अपने कार्यकाल में इस मसले पर ध्यान नहीं दे सके. हालांकि मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने के बाद जस्टिस यूयू ललित ने लिस्टिंग की नई प्रणाली लागू की, लेकिन उनका यह फैसला साथी जजों को ज्यादा रास नहीं आ रहा है.
नए लिस्टिंग सिस्टम में क्या
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ललित ने जो नई लिस्टिंग प्रणाली लागू की है उसमें कोर्ट के सभी 30 जजों के लिए दो शिफ्ट बनाए गए हैं. नई व्यवस्था के बाद अब सोमवार से शुक्रवार तक नए-नए मामलों की सुनवाई के लिए 15 अलग-अलग बेंचों में जज बैठते हैं और हर दिन 60 से ज्यादा मामलों की सुनवाई करते हैं.
तीन-तीन जजों की बेंच को मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को पहली शिफ्ट (सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1 बजे) में पुराने मामलों की सुनवाई करनी होती है, फिर दोपहर बाद की दूसरी शिफ्ट (2 बजे से शाम 4 बजे) में दो-दो जजों की बेंच को 30 केस दिए गए जिनकी सुनवाई 120 मिनट में पूरी करनी होती थी. इस तरह से हर केस को करीब 4 मिनट में निपटाना होता था. हालांकि, सीजेआई जस्टिस ललित ने मंगलवार से 30 की जगह केसों की संख्या को कम करते हुए 20 कर दिया था.
जजों के बीच इसको लेकर नाराजगी पिछले हफ्ते से ही देखी जानी लगी थी. पिछले शुक्रवार को दो जजों की एक बेंच ने मामले की सुनवाई टालने से इनकार कर दिया.