छत्तीसगढ़

No तारीख पे तारीख! उड़ीसा HC के जज ने एक दिन में सुना डाले ताबड़तोड़ 32 फैसले

नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट समेत देश के लगभग सभी न्यायालयों में बड़ी संख्या में केस लंबित पड़े हुए हैं और वे खत्म होने का इंतजार बरसों से कर रहे हैं. लेकिन इस बीच उड़ीसा उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ जज ने कारनामा करते हुए एक ही दिन में 5-6 केस का नहीं बल्कि 32 केसों का निपटारा कर दिया. अकेले उड़ीसा उच्च न्यायालय की बात की जाए तो यहां पर कम से कम 1.72 लाख मामले लंबित हैं. सभी उच्च न्यायालय को मिला लिया जाए तो करीब 60 लाख मामले पेंडिंग हैं.

उड़ीसा उच्च न्यायालय के अधिकारियों ने कल सोमवार को कहा कि जस्टिस देवव्रत दास की अध्यक्षता वाली एकल जज की पीठ ने कल 32 केसों में फैसला सुना दिया, जिनमें से ज्यादातर राज्य में अपीलीय दीवानी अदालतों के फैसले को चुनौती देने वाली दूसरी अपील थीं. 32 मामलों में से 31 मामले दूसरी अपील से संबंधित हैं, जिनमें से कई मामले तो 1988 और 1990 के बीच के हैं.

1990 के मामले का भी निपटारा

साल 1990 में गंगाधर प्रधान नाम के एक शख्स की ओर से दायर की गई दूसरी अपील के मामले में, जस्टिस ने बालासोर जिले में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर को भूमि की बिक्री में यथास्थिति के अपने दावे को बरकरार रखा.

इस पर प्रधान ने 1990 में यह अपील करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था कि उनकी विरोधी पार्टी ने संपत्ति का कुछ हिस्सा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के पदाधिकारियों को बेच दिया है.

एक अन्य मामले में, उच्च न्यायालय के जस्टिस ने कालाहांडी के जिला कलेक्टर की अपील को बनाए रखा, जिन्होंने साल 1999 में प्रह्लाद अघरिया और अन्य शख्स द्वारा सरकारी भूमि के अतिक्रमण के खिलाफ उड़ीसा उच्च न्यायालय का रुख किया था. उड़ीसा उच्च न्यायालय में अतिरिक्त स्थायी वकील समरेश जेना ने कहा, एक ही दिन में 32 फैसलों को पारित करने की जरुरत है और इससे उच्च न्यायालय में लंबित मामलों को कम करने में मदद मिलेगी.

उड़ीसा HC में करीब 2 लाख पेंडिंग

जेना ने कहा, “23 सितंबर तक, उच्च न्यायालय में कम से कम 1.72 लाख मामले लंबित हैं, जिनमें से 67,000 से अधिक मामले दीवानी रिट याचिका से जुड़े हुए हैं. जबकि करीब 20,000 आपराधिक अपीलीय मामले लंबित हैं. अदालतों को इस तरह से बैकलॉग को जल्दी से खत्म करने की जरूरत है.”

इसी साल अगस्त में, केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा को बताया था कि देश भर के 25 उच्च न्यायालयों में करीब 59.5 लाख मामले लंबित हैं, जबकि अधीनस्थ अदालतों में 4.13 करोड़ केस बकाया है, तो इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में 71,000 से अधिक मामले लंबित चल रहे हैं.

इसी साल जून में, उड़ीसा उच्च न्यायालय वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करने वाला देश का पहला उच्च न्यायालय बन गया, जिसने राज्य की न्यायपालिका के प्रदर्शन का उल्लेख किया गया है.