छत्तीसगढ़

ED ने कोर्ट से कहा,100 नहीं 150 करोड़ रुपये से अधिक का है शिक्षक भर्ती घोटाला

कोलकाता। राज्य के शिक्षक भर्ती घोटाले में नोटों का अंबार मिलने के बाद ईडी ने करीब 100 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात कही थी, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है राशि भी बढ़ती जा रही है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि शिक्षक भर्ती घोटाले 150 करोड़ रुपये से अधिक का है।

ईडी ने कहा भ्रष्टाचार की राशि 150 करोड़ से पार

केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि हाल ही में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की संपत्तियों की तलाशी के दौरान उन्हें कुछ नई कंपनियों का पता चला है। इन्हीं में से एक हैं मेमोरियल ट्रस्ट जिसका चेयरपर्सन पार्थ की बेटी बबली चटर्जी है, जबकि दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य उस ट्रस्ट के बोर्ड के सदस्य हैं।

ईडी ने कहा कि जब भी उन्होंने ऐसी संपत्तियों का पता लगाया है, कम से कम 30-40 करोड़ रुपये का पता चला है। उस अनुपात को ध्यान में रखते हुए ईडी ने कोर्ट को अनुमान से अवगत कराया। उन्होंने कहा, जल्द ही एसएससी भ्रष्टाचार की कुल राशि 150 करोड़ से अधिक पहुंच जाएगी।

बुधवार को वर्चुअली पार्थ और अर्पिता मुखर्जी को कोर्ट में पेश किया गया। पार्थ ने कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी। इसी कड़ी में सवाल-जवाब के दौरान ईडी के वकीलों ने दावा किया कि पहले मिली संपत्ति के अलावा दो और नई संपत्तियां मिली हैं।

इससे पहले 14 सितंबर को ईडी ने कहा था कि पार्थ और अर्पिता के मामले की सुनवाई के दौरान दो नई संपत्तियों का पता चला है। उस वक्त ईडी ने कहा था कि एसएससी भर्ती मामले में भ्रष्टाचार की रकम 100 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है।

ईडी ने तब अदालत को सूचित किया कि रासबिहारी कनेक्टर के कसबा में एक संपत्ति मिली है। इसके अलावा आठ,जैमिनी राय रोड पर एक संपत्ति स्थित है। हालांकि ईडी ने बुधवार को दो नई संपत्तियों के पतों का खुलासा नहीं किया। बल्कि उन्होंने कहा कि जांच के लिए दोनों संगठनों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है।

पार्थ के नहीं, नौकरी चाहने वालों के आंसू देखिए

पार्थ चटर्जी के आंसुओं पर नहीं, बल्कि नौकरी के इच्छुक हजारों उम्मीदवारों के आंसुओं पर विचार करें। ईडी ने बुधवार को शिक्षक भर्ती घोटाले में वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिटी सेशन कोर्ट से कहा। 14 सितंबर को पार्थ ने जमानत के लिए अर्जी देते हुए कोर्ट में रोया था।

उन्होंने कहा था कि मुझे जमानत दे दें, मुझे जीने दें। उन्हें अदालत में यह कहते हुए सुना गया। बुधवार को जैसे ही इस मामले की सुनवाई शुरू हुई ईडी के वकीलों ने पार्थ के रोने का मुद्दा उठाया। साथ ही दूसरों के आंसुओं से ज्यादा नौकरी चाहने वालों के आंसुओं पर विचार करने का अनुरोध किया।

पार्थ ने कहा मुझे इलाज की जरूरत

ईडी के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि वह (पार्थ चटर्जी) आखिरी बार रोए थे। लेकिन पूजा के दौरान भी गांधी प्रतिमा के नीचे बैठे हजारों लोगों के आंसुओं पर विचार करें। उधर, पार्थ ने कोर्ट से अपील की कि उन्हें किसी भी शर्त पर जमानत दे दी जाए। उन्होंने जज से कहा कि मुझे किसी भी शर्त पर जमानत दे दें। यदि आवश्यक हो तो घर पर नजरबंद कर दें। लेकिन जमानत दे दें।

पार्थ ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं। वहीं पार्थ ने सवाल किया कि उन्हें बेवजह हिरासत में लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 65-66 दिन हो गए हैं।

मैं जांच में सहयोग कर रहा हूं। हमें इलाज की जरूरत है। यह सुनकर न्यायाधीश ने पूछा, क्या उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं नहीं दी जा रही हैं? तब पार्थ ने शिकायत की थी कि पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। जिस इलाज की जरूरत है, वह नहीं दिया जा रहा है।