छत्तीसगढ़

कोरोना से पहले भारत में इन महामारियों ने बरपाया है कहर, ऐसे मिली थी जीत

नई दिल्ली । भारत में कोरोना वायरस के अब तक 4 करोड़ से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और इस संक्रमण से लगभग 5 लाख से भी अधिक लोगों की मौत हो गई है। करीब ढाई साल पहले कोरोना ने जन्म लिया और अपना रौद्र रूप दिखाया, हालांकि अब इसके मामले में गिरावट आई है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में कोरोना महामारी से पहले भी कई महामारियों के कारण लाखों लोगों की जान जा चुकी है। कोरोना संक्रमण से पहले साल 2009 में स्वाइन फ्लू (एच1एन1) ने भारत में अपना कहर बरपाया था। इस दौरान भारत में इससे काफी जानें गई थी, हालांकि स्वाइन फ्लू से अभी भी लोगों की मौत होती रहती है।

भारत ने हैजा को दिया शिकस्त

भारत में अंग्रेजों के शासन से लेकर आधुनिक भारत तक हैजा बार-बार देश में फैलती रहती है। भारत में पहली बार साल 1817 से 1824 के बीच कोलकाता में यह बिमारी फैली थी। उस दौरान इसके चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हुई थी। 20वीं सदी में हैजा ने देश में फिर एक बार अपना पैर पसारना शुरू किया। भारत में हैजा के कारण आठ लाख लोगों की मौत हो गई। तमिलनाडु में 90 के दशक में भी इसके कुछ मामले सामने आए थे। भारत में आखिरी बार ओडिशा में साल 2007 में इसके मामले सामने आए थे।

चेचक ने तीन दशक तक बरपाया अपना कहर

भारत को जब आजादी मिली उस समय यहां चेचक के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे थे। भारत सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए साल 1948 में अभियान शुरू किया और उस दौरान इससे निपटने के लिए चेन्नई में इसका टीका बनाने के लिए लैब को स्थापित किया गया। एक साल के बाद ही साल 1949 में इसके टीके को राष्ट्रीय स्तर पर लगाने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरूआत हुई, सभी राज्यों में स्कूल स्तर पर इस कार्यक्रम को शुरू किया गया। साल 1975 में भारत में इसके आखिरी मामले सामने आए और साल 1974 तक इससे 31,000 लोगों की मौत हो गई थी। भारत को साल 1977 में चेचक मुक्त घोषित कर दिया गया।

पोलियो से मिला छुटकारा

साल 1980 के दौरान पोलियो वायरस ने पूरी दुनिया में अपना पांव पसार चुका था। इस दौरान विश्व में एक लाख से अधिक बच्चे संक्रमित हुए थे। भारत में इसके तेजी से मामले बढ़ने के कारण पहली बार दिल्ली में दो अक्टूबर 1994 को टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी और लगभग 12 लाख के करीब बच्चों को इसके टीका लगाए गए। साल 1995 में पल्स पोलियो कार्यक्रम के माध्यम से इस अभियान को पूरे देश में लागू कर दिया गया। भारत में पोलियो अभियान के सफलता के बाद साल 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया।