छत्तीसगढ़

कभी सब्र नहीं खोते थे DG, खुफिया मामलों के थे एक्सपर्ट! नहीं तोड़ सके अपने कत्ल का चक्रव्यूह

नईदिल्ली I 1992 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और राज्य के जेल महानिदेशक हेमंत लोहिया खुफिया जानकारियां जुटाने के महारथी थे. इस काम में उन्हें उनके हंसमुख और मिलनसार स्वभाव ने भीड़ से हमेशा अलग रखा. वे शांत चित्त और अपने दुश्मनों को भी दोस्त बनकर ही रहने में विश्वास करते थे. जमाने में हेमंत लोहिया के जीते-जी शायद ही कोई ऐसा इंसान रहा होगा, जो एक बार इस मृदुभाषी स्वभाव के धनी आईपीएस का मुरीद हुए बिना रह सका हो. ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि आखिर फिर हेमंत लोहिया सा होनहार, मृदुभाषी और पुलिस महकमे में पाकिस्तान बॉर्डर से लेकर पूरी कश्मीर घाटी में, खुफिया जानकारियां जुटाने का यह महारथी खुद अपने ही कत्ल के चक्रव्यूह को भेद पाने में कैसे नाकाम हो गया?

इस सवाल के जवाब की तलाश में मंगलवार को (हेमंत लोहिया के कत्ल के चंद घंटे बाद ही), कश्मीर घाटी से लेकर दिल्ली तक तमाम पुलिस और गैर-पुलिस वालों से खुलकर बात की गई . इस बातचीत का लब्बोलुआब यही निकल कर सामने आया कि आईपीएस हेमंत लोहिया खाकी वर्दी की नौकरी में भी भीड़ से अलग थे.

‘गैर-विवादित अफसर थे लोहिया’

वे जहां-जहां भी कश्मीर घाटी में नियुक्त रहे. वहां-वहां वे अपने मिलनसार-हंसमुख स्वभाव की छाप अगर पुलिस और गैर-पुलिस से जुड़े आमजन के दिल-ओ-दिमाग पर छोड़कर आए. तो पुलिस महकमे के लिए कश्मीर घाटी में सन् 2005 से लेकर उसके बाद के करीब 10-12 साल तक, हेमंत लोहिया सा खुफिया जानकारियां जुटाने वाला पुलिस अफसर मौजूद नहीं था. हेमंत लोहिया को करीब से जानने वाले कुछ लोग खुलकर तो, तमाम लोग अपनी पहचान निजी कारणों से छिपाकर इसकी पुष्टि करते हैं.

इस बारे में हेमंत लोहिया के साथ कई साल पुलिस सर्विस कर चुके और कश्मीर घाटी के पूर्व महानिदेशक (प्रॉसीक्यूशन) सैयद अफादुल मुजतुबा से. सैयद अफादुल मुजतुबा 1998 बैच जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आईपीएस हैं. वे इन दिनों जम्मू एंड कश्मीर राज्य अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के मेंबर भी हैं.

बकौल सैयद अफादुल मुजतुबा, “हेमंत लोहिया सर से मेरी पहली मुलाकात सन् 1984 में हुई थी. तब मैं जम्मू एंड कश्मीर राज्य पुलिस सेवा से चयनित होकर जम्मू के गांधी नगर सब-डिवीजन में तैनाती के लिए पहुंचा था. वहीं पर सर (हेमंत लोहिया) भी एसडीपीओ थे. वो मुलाकात मैं तमाम उम्र याद रखूंगा. उसके बाद उनके साथ मुझे सर के साथ सेंट्रल कश्मीर (बंदरबल, श्रीनगर, बड़गाम) में पुलिस सर्विस करने का मौका मिला. हेमंत सर के बारे में मैं दावे से कह सकता हूं कि नॉन कंट्रोवर्सियल और मिलनसार पुलिस अफसर रहे. वे मीडिया की खबरों से हमेशा दूर रहे. मगर मीडिया हो या फिर आमजन या पुलिस महकमा. उनके स्वभाव का हर कोई कायल था.”

‘कभी सब्र नहीं खोते थे IPS लोहिया’

आज जब हेमंत लोहिया के कत्ल के बाद भारतीय पुलिस सेवा और जम्मू कश्मीर घाटी में कोहराम मचा है. कोई इसे महज एक अचानक अंजाम दे डाली गई कत्ल की घटना बता रहा है. तो कोई घाटी के जेल महानिदेशक हेमंत लोहिया के कत्ल की घटना को आतंकवादियों द्वारा, हिंदुस्तानी हुकूमत को उस वक्त खुली चुनौती दिया जाना बता रहा है जब, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर घाटी के तीन दिवसीय दौरे पर हैं.

ऐसे में हेमंत लोहिया के साथ जम्मू कश्मीर पुलिस में बीते यादगार पलों को याद करते हुए सैयद अफादुल मुजतुबा कहते हैं, “शांत स्वभाव, सबसे हंसकर मिलना उनकी जिंदगी की पहली पहचान और मकसद था. यही वजह थी कि हर कोई उनका मुरीद हो जाता था. अगर उन्हें कभी नाराजगी जाहिर भी करनी होती थी. तो वो भी सामने वाले को पता नहीं चलने देते थे. सब्र उनके भीतर बेइंतहाई तौर पर मौजूद था. कई साल उनके साथ जम्मू कश्मीर सी संवेदनशील पुलिस की नौकरी के दौरान मैने उन्हें कभी सब्र खोते नहीं देखा. अमूमन पुलिस की नौकरी में यह क्वालिटी ब-मुश्किल ही देखने को किसी के भी नसीब होती है.”

PM के लिए गठित SPG में भी रहे लोहिया

घाटी के कई पूर्व पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, “हेमंत लोहिया की राज्य पुलिस में पोस्टिंग चाहे डोडा या फिर पाकिस्तान सीमा से सटे कश्मीर घाटी के राजौरी मेंं. वे हर जगह पुलिस महकमे और आमजन के मीत बनकर ही रहे. अपने इसी स्वभाव का उन्हें यह फायदा मिला कि, उनके पास गजब का इंटेलीजेंस इनपुट खुद ही चलकर आता था. उन्हें देशहित में खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए न कभी ज्यादा सरकारी फंड की दरकार महसूस हुई न ही, किसी किस्म की उन्हें बेवजह की मशक्कत इंटेलीजेंस इनपुट जुटाने के लिए करनी पड़ी. जिन खुफिया जानकारियों के लिए बाकी घाटी की तमाम पुलिस महीनों खाक छाना करती थी. वो खुफिया जानकारियां संवेदनशील इलाकों से निकल-चलकर खुद ही हेमंत लोहिया के पास आ जाती थीं.”

हेमंत लोहिया लंबे समय तक डेपुटेशन पर स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप यानि प्रधानमंत्री के लिए गठित एसपीजी (विशेष सुरक्षा दस्ते) में भी रहे. उसके बाद वे सीमा सुरक्षा बल में भी तैनात रहे. लंबा अरसा बीएसएफ में डेपुटेशन पर गुजारने के बाद कुछ समय पहले ही वे, वापस अपने मूल पुलिस सेवा कैडर (जम्मू कश्मीर घाटी पुलिस ) में लौट आए थे.

ऐसे में सवाल यह पैदा होना लाजिमी है कि आखिर इस कदर के काबिल और निर्विवाद शांत चित्त हंसमुख स्वभाव वाले अफसर का आखिर कत्ल क्यों कर डाला जाएगा? इस सवाल के जवाब में जम्मू कश्मीर घाटी का कोई मौजूद और पूर्व पुलिस अफसर खुलकर भले न बोले. भारतीय पुलिस सेवा में हेमंत लोहिया के बैचमेट रहे सुनील गर्ग जरुर बात करते हैं. सुनील गर्ग छह महीने पहले ही दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (ट्रेनिंग और ऑपरेशन के पद से) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं.

लोहिया की हत्या पर उठे सवाल?

गर्ग के मुताबिक, “मैंने करीब से हेमंत लोहिया को परखा था. हंसमुख और मिलनसार स्वभाव उनकी पहचान थी. न किसी की बातें सुनने में विश्वास करते थे और न अपनी बातें ज्यादा किसी को सुनाने में ही वक्त जाया करते.” सुनील गर्ग आगे कहते हैं, “मैं 2005-2006 और फिर 2011-2012 में जब वे श्रीनगर (सेंट्रल कश्मीर) में डीआईजी और आईजी तैनात थे. तब उनसे मिला भी था. वे आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान जैसे थे, पुलिस महानिरीक्षक स्तर का अधिकारी बनने के बाद भी उसी तरह रहे. हेमंत मुझे उस मुलाकात में और भी कहीं ज्यादा शांत, संवेदनशील स्वभाव वाले इंसान लगे.”

श्रीनगर में हेमंत लोहिया के अंडर में किसी जमाने में एसएसपी रहे चुके एक आईपीएस अफसर के मुताबिक, “हम दफ्तर में ही बैठे होते थे. और सर हमें इंटेलीजेंस इनपुट देकर हैरत में डाल देते थे. उनके पास इतनी पुख्ता जानकारी होती थी कि, उन्होंने जब भी कभी कुछ महकमे को (जम्मू एंड कश्मीर पुलिस को) इनपुट (खुफिया जानकारी) दिया, वो कभी बेकार या कहिए खाली नहीं गया.”

तो क्या यह माना जाए कि जम्मू कश्मीर पुलिस के लिए तमाम उम्र (आईपीएस की नौकरी के दौरान) अहम खुफिया जानकारियां जुटाने वाले हेमंत लोहिया अपने ही कत्ल के षड्यंत्र का चक्रव्यूह भेद पाने में नाकाम हो गए? पूछने पर इसी आईपीएस अधिकारी ने कहा, “यह तो जांच के बाद ही साफ होगा कि वजह क्या थी? हां, हेमंत सर का जिस तरह से कत्ल हुआ है, वो अपने आप में मुझे ही नहीं पूरी जम्मू कश्मीर पुलिस के खुली चुनौती है. जो आज नहीं कल खुलेगा. तो देखिए कुछ न कुछ हैरान करने वाला ही सच सामने आएगा.”