नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे बुजुर्गों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रस्तुत करें। इसके तहत बुजुर्गों को पेंशन, प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम और वृद्धावस्था में देखभाल के स्तर को लेकर जानकारी मांगी गई है।
क्या कहा जस्टिस अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की पीठ ने
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की पीठ ने राज्यों को अपनी रिपोर्ट में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में वर्तमान स्थिति का भी उल्लेख करने को कहा है। पीठ ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि बुजुर्गों के लिए पेंशन, प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम और वृद्धावस्था देखभाल के स्तर के संबंध में बुजुर्गों के कल्याण के लिए संचालित योजनाएं हमारे सामने पेश की जानी चाहिए।
तीन प्रमुख बिंदुओं पर मौजूदा योजनाओं की जानकारी
अदालत ने कहा, संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन तीन प्रमुख बिंदुओं पर अपनी मौजूदा योजनाओं की जानकारी भारत सरकार के एडवोकेट-आन-रिकार्ड को सौंपेंगे। सभी संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से दो माह में जानकारी एकत्र करने के बाद केंद्र सरकार एक माह के भीतर संशोधित स्थिति रिपोर्ट सौंपेगी।
बुजुर्गों के भरण-पोषण पर रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब जनवरी 2023 में करेगा। शीर्ष अदालत देशभर में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ वृद्धाश्रम स्थापित करने संबंधी पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने माता-पिता और बुजुर्गों की देखभाल और कल्याण अधिनियम, 2007 के प्रभावी कार्यान्वयन की भी मांग की है।