नईदिल्ली I बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से सौरव गांगुली की कुर्सी जाना तय है. 18 तारीख को इस पर अंतिम मुहर भी लग जाएगी. 18 तारीख को बीसीसीआई की सालाना आम बैठक है. तेजी से बदले घटनाक्रम में पूर्व क्रिकेटर रॉजर बिन्नी का अध्यक्ष बनना तय है. रॉजर बिन्नी 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा हैं. बिन्नी ने भारत के लिए 27 टेस्ट मैच और 72 वनडे मैच खेले हैं. बिन्नी का नाम तब ही समझ आ गया जब कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन ने एजीएम में अपने प्रतिनिधि के तौर पर सचिव संतोष मेनन की जगह उनका नाम भेजा था.
जय शाह बोर्ड के सचिव बने रहेंगे. इसके अलावा राजीव शुक्ला भी पहले की तरह ही बोर्ड के उपाध्यक्ष बने रहेंगे. इस ताजा घटनाक्रम के पीछे की कहानी दिलचस्प है.
कैसे कटा सौरव गांगुली का पत्ता?
इस बात से तो हर कोई वाकिफ है कि लंबे समय से सौरव इसी तिकड़म में लगे थे कि उनका कार्यकाल बढ़ जाए. मामला अदालत में भी गया था. फैसला उनके पक्ष में भी आ गया था. आपको याद दिला दें कि बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर आने से पहले सौरव गांगुली बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के साथ जुड़े हुए थे. सारा पेंच उनके कार्यकाल को लेकर था. संविधान के मुताबिक कोई भी पदाधिकारी स्टेट एसोसिएशन और बीसीसीआई को मिलाकर लगातार 6 साल से ज्यादा काम नहीं कर सकता था. इस लिहाज से सौरव और जय शाह दोनों का कार्यकाल खत्म हो रहा था. लेकिन बोर्ड ने अपने संविधान में बदलाव करके इस कार्यकाल को बढ़वा लिया था. अदालत ने पिछले ही बीसीसीआई की उस सिफारिश को मंजूरी दे दी थी जिसमें कहा गया था कि 3-3 साल के कार्यकाल को आपस में मिलाना ठीक नहीं है. इसके बाद सौरव गांगुली आश्वस्त थे कि अभी तीन साल तक अध्यक्ष बने रहेंगे.
क्यों सौरव गांगुली की हुई छुट्टी?
असली पिक्चर अभी बाकी थी. जब सौरव गांगुली को लगा कि अब उनके पास तीन साल का समय है तब बोर्ड से उनका पत्ता कट गया. इसके पीछे की बड़ी वजह है बोर्ड के बाकी अधिकारियों के साथ उनका मन मुटाव. सौरव की छवि एक दबंग कप्तान की रही है. बोर्ड में भी वो सुर्खियों में बने रहना चाहते थे. विराट कोहली के साथ हुआ विवाद इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. सौरव ये भूल गए थे कि यहां उनकी दाल नहीं गलने वाली है. क्योंकि यहां कहानी ‘वोट की गणित’ से चलती है. एकाध मौके तो ऐसे आए जब सौरव बोर्ड के बाकि पदाधिकारियों से बिल्कुल अलग ‘लाइनलेंथ’ पर नजर आए. सौरव को करीब से जानने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि दादा कई बार जरूरत से ज्यादा चीजों को अपने काबू में रखने की कोशिश करने लगते हैं. उनकी यही कोशिश इस बार उन्हें भारी पड़ गई.
आईपीएल चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव था
बोर्ड की तरफ से सौरव गांगुली को ये प्रस्ताव दिया गया कि वो आईपीएल चेयरमैन बन जाएं. लेकिन सौरव ने इसे अपने लिए ‘डिमोशन’ की तरह देखा. सूत्रों के मुताबित सौरव का कहना था कि जब वो बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं तो वो बोर्ड की किसी सबकमेटी के चेयरमैन क्यों बनेंगे? बोर्ड ने भी सौरव के मान मुनौव्वल का मन नहीं दिखाया. ऐसे में ये जिम्मेदारी अरुण सिंह धूमल को देने का मन बना लिया गया है. इस तरह अगर सही मायनों में देखा जाए तो बीसीसीआई से सौरव गांगुली की पूरी तरह ही छुट्टी कर दी गई है. और इसके पीछे की वजह बनी सौरव गांगुली का ‘एटिट्यूड’.
अगर संबंध सुधरे तो क्या होगा?
अब सारी नजरें इस बात पर हैं कि क्या बोर्ड के मौजूदा पदाधिकारियों के साथ सौरव गांगुली के रिश्ते सुधरेंगे या नहीं? अगर रिश्ते सुधर गए तो संभव है कि सौरव गांगुली आईसीसी चेयरमैन बन जाएं. हालांकि ये अभी बिल्कुल शुरुआती दौर की चर्चा है. इस तेजी से बदले घटनाक्रम की जड़ में अगले साल होने वाला विश्व कप भी है. अगले साल विश्वकप की मेजबानी भारत को ही करनी है. विश्व कप आईसीसी इवेंट है और मेजबान होगा बीसीसीआई. ऐसे में बेहतर तालमेल की जरूरत होगी. लेकिन ये तभी मुमकिन होगा जब सौरव गांगुली दो कदम पीछे हटेंगे.