नईदिल्ली I आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने अमूल दूध की बढ़ी कीमत को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. चड्ढा ने कहा कि सरकार की गलतियों का खामियाजा कई भारतीय परिवारों को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल दिवाली के त्योहार से पहले अमूल डेयरी ने दूध की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी की है. अमूल ने फुल क्रीम दूध की कीमत 61 रुपए से बढ़ाकर 63 रुपए कर दी है, जिससे आम लोगों को इस फेस्टिव सीज़न में बढ़ा झटका लगा है. सांसद राघव चड्ढा ने अपने एक पुराने ट्वीट के साथ नया ट्वीट जोड़कर कहा कि मैंने कहा था कि दूध के दाम बढ़ने वाले हैं.
चड्ढा ने ट्वीट कर कहा, ‘मैंने कहा था कि ऐसा होगा. कीमत बढ़ने के बाद दूध अब पेट्रोल को टक्कर देता नजर आ रहा है और आम आदमी की कमर तोड़ रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘आज अमूल ने दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है. इस उदासीन सरकार की गलतियों का खामियाजा कई भारतीय परिवारों को भुगतना पड़ रहा है.’ इससे पहले 6 अक्टूबर को सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था, ‘दूध की कीमतें फिर बढ़ने वाली हैं और इसका कारण चारे की कीमतों में बेरोकटोक बढ़ोतरी और लंपी वायरस का प्रसार है. लंपी वायरस तेजी से फैल रहा है और चारे की कीमतें बेरोकटोक बढ़ रही हैं. लेकिन सरकार ने इन मुद्दों को सुलझाने के लिए कुछ भी नहीं किया. जिसकी वजह से किसानों और भारतीय परिवारों के लिए परेशानी बढ़ रही है.’
एक साल में चारे की कीमत 3 गुना बढ़ी
राज्यसभा सांसद ने कहा था, ‘सिर्फ एक साल में चारे की कीमत और मांग दोनों 3 गुना बढ़ी है. उदाहरण के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश में चारे (भूसे) की कीमतें 400-600 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1100-1700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.’ उन्होंने कहा, ‘कुछ सालों से किसान चारे के बजाय बाकी फसलों की बुवाई करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. चारे की कीमतें अगस्त में 9 साल के सबसे ऊंचे स्तर 25.54 प्रतिशत तक पहुंच गई. दूध का सबसे बड़ा उत्पादक गुजरात में पिछले दो सालों में चारे की फसल का क्षेत्रफल 1.36 लाख हेक्टेयर कम हो गया है.’
राघव चड्ढा ने कहा था, ‘सरकार ने दो साल पहले चारा संकट और कृषि परिवारों पर इसके प्रभाव को देखा था. खासतौर से चारे के लिए 100 किसान उत्पादक संगठन (FPO) स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (MoFAHD) द्वारा सितंबर 2020 में तैयार किया गया था. लेकिन ताज्जुब है एक भी एफपीओ अभी तक रजिस्टर नहीं किया गया है. सीधे कहें तो सरकार को सालों पहले संभावित संकट के बारे में पता था, लेकिन फिर भी उसने कुछ नहीं किया.’