छत्तीसगढ़

ओमिक्रॉन के नए सब-वेरिएंट ने बढ़ाई भारत की चिंता, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने की समीक्षा बैठक

नईदिल्ली I देश में ओमिक्रॉन के नए सब-वेरिएंट का पहला केस मिला है जिससे एक बार फिर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. इसको लेकर मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022 को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने एक समीक्षा बैठक की है. इस बैठक में उन्होंने कोरोना की स्थिति और टीकाकरण अभियान को लेकर जानकारी ली. बैठक में मास्क लगाने और कोविड के नियमों का पालन करने पर जोर देने का निर्णय लिया गया है.

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से एएनआई ने बताया है कि बैठक में स्वाथ्य मंत्री के अलावा नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष एनके अरोड़ा, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद थे. कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमिक्रॉन का नया सब वेरिएंट बीए.5.1.7 काफी तेजी से फैलता है.

अमेरिका के डॉक्टर ने दी चेतावनी

इन सब के बीच अमेरिका के डॉक्टर फौसी ने चेतावनी दी है. उन्होंने सीबीएस न्यूज से बातचीत में कहा है कि ओमिक्रॉन के BQ.1 और BQ.1.1 दोनों ही खतरनाक वायरस हैं लेकिन इनसे बचा जा सकता है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के नये आंकड़ों के अनुसार, इन दोनों वेरिएंट अमेरिका में 10 प्रतिशत से अधिक मामलों के जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ये दोनों वेरिएंट BA.5 से ज्यादा खतरनाक हैं कि नहीं लेकिन अगर ये तेजी से फैले तो भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और लोगों की मौत भी कम हुई है तो इस पर ध्यान नहीं दे रहे जो बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है.

‘सब-वेरिएंट को अनदेखा नहीं किया जा सकता’

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के एक वैज्ञानिक ने कहा कि ये सभी अगली पीढ़ी के स्ट्रेन या कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट की संतान हैं. इस साल जनवरी में ओमिक्रोन के आने के बाद कोरोना के किसी नए वेरिएंट को अब तक नहीं देखा गया था. हालांकि, सब-वेरिएंट्स में भी मामलों को बढ़ाने की क्षमता है, इसलिए उन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीका न खरीदने का किया फैसला

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी और अधिक कोविड टीके नहीं खरीदने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, करीब 1.8 करोड़ खुराक अभी भी केंद्र और राज्यों सरकारों के पास उपलब्ध हैं और यह स्टॉक करीब छह महीने तक टीकाकरण अभियान को जारी रखने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि कोविड के मामलों में गिरावट आने के कारण लोग कम टीकाकरण करवा रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री ये फैसला बदल भी सकते हैं.