पटना। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार सरकार के अफसर पीएफआइ (पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया) की गतिविधियों में संलिप्त हैं। वे बच्चों में अलगाववादी मानसिकता का पोषण कर रहे हैं। इसका प्रमाण सातवीं कक्षा की अर्धवार्षिक परीक्षा में पूछा गया कश्मीर से संबंधित विवादित प्रश्न है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और बिहार सरकार के मुख्य सचिव की मिलीभगत से इस तरह की बातें हो रही हैं। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो वर्ष 2047 में गजवा-ए-हिंदी को लेकर जो बातें हो रही हैं, उस पर भी ये लोग इस तरह के प्रश्न पत्र सेट करेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री को नसीहत देते हुए कहा कि बेशक आप भाजपा से लड़िए, लेकिन आप देशविरोधी ताकतों के साथ मिलकर भारत से लड़ने का काम कर रहे हैं। अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो भाजपा चुप नहीं बैठेगी। बिहार में आंदोलन होगा।
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस बीच शिक्षा मंत्री डा. चंद्रशेखर ने कहा कि यह गंभीर मामला है। कहां से और कैसे चूक हुई, इसकी गंभीरता से जांच करने को कहा गया है। दोषियों के विरुद्ध विभागीय स्तर पर सख्त कार्रवाई होगी, ताकि ऐसी चूक दोबारा नहीं हो। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि संबंधित जिलाधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी दी गई है।
2017 में भी बच्चों से पूछा गया था ऐसा प्रश्न
बुधवार को संजय जायसवाल ने कहा कि पिछले शनिवार को अररिया, किशनगंज और कटिहार में सातवीं कक्षा के बच्चों से अर्धवार्षिक परीक्षा में प्रश्न पूछा गया कि चीन में रहने वाले को चाइनीज कहते हैं, तो इंग्लैंड में रहने वाले, नेपाल में रहने वाले, कश्मीर में रहने वाले और भारत में रहने वाले लोगों को क्या कहते हैं? इस तरह का प्रश्न यह बताता है कि बिहार सरकार के अफसर पूरे तौर पर पीएफआइ की गतिविधियों में संलिप्त हैं। यह प्रश्न केवल सीमांचल के ही बच्चों से पूछा जाता है, जो बताता है वहां शरजील इमाम के एजेंडा से बच्चों में अलगाववादी मानसिकता का पोषण किया जा रहा है। शरजील इमाम का एजेंडा है कि अगर वे लोग चिकेन नेक को पकड़ लेंगे तो पूर्वोत्तर को अलग कर देंगे। अफसोसजनक यह कि यह प्रश्न वर्ष 2017 में भी बच्चों से पूछा गया था। उस समय कहा गया था कि दोषी पर कार्रवाई होगी, लेकिन प्रश्न तैयार करने वालों पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई। महागठबंधन सरकार बनने के बाद षड्यंत्र के तहत पीएफआइ के संरक्षण में प्रश्नपत्र सेट कराया जा रहा है। यह देशविरोधी गतिविधि है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दी आंदोलन की चेतावनी
भाजपा के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी आंदोलन की चेतावनी दी है। परिषद की अररिया जिला इकाई के शिष्टमंडल ने बुधवार को जिला पदाधिकारी को आवेदन सौंपकर जांच-कार्रवाई की मांग की। पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के अनुसार, सीमांचल का इलाका आतंकी गतिविधियों को लेकर संवेदनशील है, जबकि महागठबंधन की सरकार बनाते ही मुख्यमंत्री तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। गलत जानकारी देकर बच्चों के मन में देश के प्रति भ्रम पैदा किया जा रहा। कटिहार के जिलाधिकारी उदयन मिश्रा का कहना है कि प्रश्नपत्र कहां सेट किया गया, इसकी जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
प्रश्नपत्र सेट करने में स्थानीय स्तर पर हुई चूक
अब तक की जांच में यह पता चला है कि स्थानीय स्तर पर प्रश्नपत्र सेट करने में चूक हुई है। बिहार शिक्षा परियोजना, किशनगंज के डीपीओ शौकत अली ने बताया पटना से भेजी गई 2021-22 की मूल्यांकन हस्तक पुस्तिका में प्रश्नपत्र का आधार सही है। स्थानीय स्तर पर संभाग प्रभारी प्रणव झा की लापरवाही से चूक हुई है। तीन जिलों में हुई चूक का मुख्य कारण यह है कि अररिया के अजंता प्रेस को ही तीनों जिलों के प्रश्नपत्रों की छपाई का टेंडर मिला। किशनगंज के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री कहते हैं कि जांच चल रही है। दोषी पाए जाने वाले को दंडित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि यह विवादित प्रश्न किशनगंज में 2017 की परीक्षा में भी पूछा गया था। तब इसे प्रिंटिंग मिस्टेक कह दिया गया था।