छत्तीसगढ़

बिलकिस बानो के दोषियों को मिली रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट 2002 के बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली नई याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने मामले को मुख्य याचिका के साथ जोड़ते हुए इस पर साथ में सुनवाई की बात कही है। बता दें कि गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों का खून भी कर दिया गया था।

29 नवंबर को मामले की सुनवाई

शीर्ष अदालत नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वूमेन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सजा की छूट और मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और कहा कि वह 29 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगी।

गुजरात सरकार का जवाब भारी भरकम

अदालत ने 18 अक्टूबर को कहा था कि छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुजरात सरकार का जवाब बहुत भारी भरकम है, जिसमें कई फैसलों का हवाला दिया गया है लेकिन तथ्यात्मक बयान गायब हैं। बता दें कि बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन जलने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। मारे गए सात परिवार के सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल है।

दोषियों की हाल ही में हुई थी रिहाई

गुजरात सरकार द्वारा अपनी छूट नीति के तहत रिहाई की अनुमति दिए जाने के बाद मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहाई दी गई थी। हालांकि उन्होंने जेल में 15 साल से अधिक समय पूरा किया था।