नईदिल्ली I सांसदों के लिए उपचार सुविधाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए दिल्ली स्थित एम्स ने विवाद के बाद अपनी एसओपी वापस ले ली है. लोकसभा के ज्वाईंट सेक्रेटरी को शुक्रवार को भेजे एक अन्य पत्र में एम्स प्रशासन ने अपने पहले की चिट्ठी को वापस लिए जाने की बात कही.
इससे पहले एम्स प्रशासन ने एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक दिल्ली में सांसदों के इलाज सुविधाओं को व्यवस्थित करने के लिए एक पत्र जारी किया था. इस चिट्ठी के जरिए एम्स ने सांसदों के लिए उनकी चिकित्सकीय देखभाल व्यवस्था के समन्वय के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया था. इसी व्यवस्था पर विवाद होना शुरू हो गया था. चिकित्सकों के एक धड़े ने इसे वीआईपी संस्कृति बताते हुए इसकी आलोचना की थी.
एम्स ने जारी किया था आदेश
एम्स के निदेशक एम. श्रीनिवास ने लोकसभा सचिवालय के संयुक्त सचिव वाई. एम. कांडपाल को हाल ही में लिखे एक पत्र में ‘आउट पेशेंट विभाग’ आपातकालीन परामर्श लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा सांसदों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए जारी एसओपी की जानकारी दी.
डॉ. श्रीनिवास ने बताया कि सभी व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए अस्पताल प्रशासन विभाग के अधिकारी एम्स नियंत्रण कक्ष में चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेंगे. एम्स के निदेशक ने पत्र में कुछ नंबर भी दिए जिस पर फोन करके सांसदों के कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात अधिकारी से बात कर सकते हैं.
वीआईपी संस्कृति की निंदा
‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि सांसदों के लिए विशेष व्यवस्थाओं से मरीजों को मिलने वाली सेवाओं पर असर पड़ सकता है. उन्होंने ट्वीट किया कि हम इस वीआईपी संस्कृति की निंदा करते हैं. किसी भी मरीज को दूसरे के विशेषाधिकारों से नुकसान नहीं होना चाहिए.
ऐसा कहा जा रहा है कि चीजों को सुव्यवस्थित करने के लिए बनाए इस प्रोटोकॉल को अपमानजनक नहीं मानना चाहिए लेकिन इससे किसी अन्य रोगी की देखभाल में बाधा नहीं आनी चाहिए.