नईदिल्ली I भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा. इसरो ने वनवेब के डेवलप किए गए 36 ब्रांडबैंड सेटेलाइट को निचली कक्षा में स्थापित किया है. यह लॉन्च श्रीहरिकोटा से किया गया है. इस लॉन्च में एलवीएम मार्क 3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है. बता दें कि यह इसरो का सबसे भारी रॉकेट है. इस बात की पुष्टि इसरो ने शनिवार रात को की है. यह लॉन्च रात 12.7 मिनट पर किया गया है.
एलवीएम मार्क 3 रॉकेट की क्षमता 10 टन तक के सेटेलाइट को ले जाने की है, जिसमें वनवेब के सेटेलाइट्स का वजन 6 टन था. एलवीएम 3 के लिए यह पहला कमर्शियल लॉन्च था. यह मिशन वनवेब और न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के बीच करार होने के बाद हुआ था.
अंतरिक्ष विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने पूर्व में इसरो के एलवीएम3 बोर्ड पर वनवेब लियो सेटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए लंदन-मुख्यालय वाली नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के साथ दो लॉन्च सेवा करार पर हस्ताक्षर किए थे.
10 टन की क्षमता, 43 मीटर लंबा रॉकेट
वनवेब एक निजी सेटेलाइट संचार कंपनी है, जिसमें भारत की भारती एंटरप्राइजेज एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है. रविवार को, 43.5 मीटर लंबा रॉकेट 24 घंटे की उलटी गिनती के अंत में यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से पूर्वाह्न 12 बजकर 7 मिनट पर लॉन्च किया गया. इस रॉकेट की क्षमता 10,000 किलोग्राम तक के सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में ले जाने की है.
यह मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है कि यह एलवीएम3 का पहला कमर्शियल मिशन है और प्रक्षेपण यान के साथ एनएसआईएल का भी पहला अभियान है. इसरो के अनुसार, मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 सेटेलाइट्स के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बन गया है.
इसरो चेयरमेन ने कहा, मोदी की वजह से संभव
एलवीएम 3 के लॉन्च को ऐतिहासिक बताते हुए इसरो के चेयरमेन डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि यह सब केवल पीएम नरेंद्र मोदी की वजह से संभव हो पाया है. पीएम मोदी चाहते थे कि एलवीएम 3 को कमर्शियल मार्केट में आना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह ऐतिहासिक मिशन है, एलवीएम 3 को कमर्शियल करने की उनकी इच्छा थी, उन्होंने इसके लिए जितना हुआ उतना सपोर्ट भी किया.’
चंद्रयान 3 भी तैयार- एस सोमनाथ
पत्रकारों से चर्चा करते हुए इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने एक और खुशखबरी दी है. उन्होंने कहा कि इसरो ने चंद्रयान-3 का काम भी पूरा कर लिया है. इसकी फाइनल टेस्टिंग भी आखिरी फेस में है. हालंकि उन्होंने कहा कि इसके लॉन्च के लिए थोड़ा इंतजार और करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 की लॉन्च के लिए हमारे पास 2 स्लॉट्स हैं. इनमें से एक फरवरी और दूसरा जून में, हम जून का स्लॉट ले रहे हैं. इसका मतलब है कि जून 2023 में चंद्रयान-3 का लॉन्च संभव है.