छत्तीसगढ़

अपाहिज हो गए सलमान रुश्दी, चली गई एक आंख की रोशनी, एक हाथ भी नहीं कर रहा काम

नईदिल्ली I जानलेवा हमले के बाद भारतीय मूल के अंतरराष्ट्रीय लेखक सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई. एक हाथ भी अपाहिज हो गया. अब वो एक हाथ से ही काम कर पाएंगे. उनके एजेंट ने इस बात का खुलासा किया है. रुश्दी के साहित्यिक एजेंट एंड्रयू वायली ने स्पेनिश अखबार एल पेस को बताया कि 75 वर्षीय लेखक की चोटें गंभीर थीं. उनकी एक आंख की रौशनी चली गई. उनके गर्दन में तीन जगह गंभीर जख्म थे.

उन्होंने बताया कि उनका एक हाथ हमेशा के लिए अपाहिज हो गया है, क्योंकि उनके हाथ की नस काटी गई. उन्होंने आगे बताया कि रुश्दी के सीने और धड़ में लगभग 15 और जख्म हैं. उन पर किया गया यह एक जानलेवा हमला था. उनके एजेंट ने ये नहीं बताया कि रुश्दी इस समय अस्पताल में ही हैं या वहां से वापस आए. वायली ने कहा कि वह जिंदा हैं, यह सबसे महत्वपूर्ण बात है.

रुश्दी पर न्यूयॉर्क में हुआ था जानलेवा हमला

75 वर्षीय लेखक पर 12 अगस्त को न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान जानलेवा हमला किया गया था. उन पर 12 बार चाकू से वार किया गया था. रुश्दी के गर्दन और धड़ में चाकू मारी गई थी. इस दौरान वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे. हमलावर की पहचान 24 साल के हादी मतार के रूप में हुई थी. हमले के बाद, ईरान ने हमलावर के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया. बता दें कि रुश्दी का जन्म भारत में एक मुस्लिम कश्मीरी परिवार में हुआ था. रुश्दी को 80 के दशक से उनकी एक किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को लेकर ईरान से जान से मारने की धमकियां मिलती रही हैं.

द सैटेनिक वर्सेज’ में पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी

1989 में ईरान के तत्कालीन सर्वोच्च नेता आयोतुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने रुश्दी की इस किताब को इस्लाम के खिलाफ बताया था. खुमैनी ने कहा था कि इस किताब में कथित रूप से इस्लाम के आखिरी मैसेंजर पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के खिलाफ विवादित लेखन किया गया है. ईरान ने उनके सिर पर लाखों के इनाम रखे थे और उस फतवे को खुमैनी की मौत के बाद भी ईरान ने बरकरार रखा था.

सलमान रुश्दी करीब 10 साल तक छुप-छुपकर रहे. वो इस दौरान ब्रिटेन में रहे. इसके बाद में वो अमेरिका चले गए और 20 साल से अमेरिका में ही रह रहे हैं. रुश्दी को अमेरिका में किसी भी कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा दी जाती थी. पर उस दिन शायद सुरक्षा में चूक हुई, जिसका नतीजा अच्छा नहीं रहा और उन पर जानलेवा हमला किया गया.

उनकी किताब पर भारत में भी हुआ था बवाल

सलमान रुश्दी की विवादित किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ 26 सितंबर 1988 को प्रकाशित हुई थी और प्रकाशन के बाद ही किताब विवादों में घिर गई. उनकी इस किताब पर दुनियाभर के कई देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था. भारत में भी रुश्दी की किताब पर जमकर बवाल हुआ, जिसके बाद 5 अक्टूबर 1988 को राजीव गांधी की सरकार ने किताब पर बैन लगा दिया था.