छत्तीसगढ़

महाराष्ट्र में मराठी मुस्लिम को लेकर सियासत तेज! उद्धव गुट ने बताया अपना समर्थक, बीजेपी बोली- तुष्टिकरण की कोशिश

मुंबई I जैसे-जैसे मुंबई निकाय चुनाव नजदीक आ रहे हैं, महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया वोट बैंक भी उभरता नजर आ रहा है. अब पार्टियों के बीच ‘मराठी मुस्लिम’ को लेकर राजनीति शुरू हो गई. एक तरफ जहां शिवसेना (उद्धव गुट) ने दावा किया है कि उन्हें मराठी मुसलमानों का साथ मिल रहा है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने इसे तुष्टीकरण की राजनीति बताया है.

दरअसल, शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखपत्र सामना ने पहले पन्ने पर इस बात का जिक्र किया था कि ‘मराठी मुसलमान’ पार्टी का समर्थन कर रहे हैं. इस पर बीजेपी ने तुरंत जवाब दिया और पार्टी पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया. मुंबई बीजेपी प्रमुख आशीष शेलार ने उद्धव गुट पर हमला करते हुए कहा कि शिवसेना उद्धव बालासाहेब पार्टी मराठी और मुस्लिम वोट हासिल करना चाहती है, लेकिन शब्दों के साथ बड़ी चतुराई से खेल किया है.

क्या मतदान बदलती हुई उद्धव सेना को करेंगे स्वीकार ?

इसे उद्धव सेना के नए मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है. गणित और राज्य में बदली हुई राजनीतिक के मद्देनजर अब वोट बैंक भी बदलते नजर आ रहे हैं. अभी तक शिवसेना को हिंदुत्व की राजनीति करते हुए देखा गया है. प्रतिष्ठित बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के चुनाव में उद्धव सेना 25 सालों से नियंत्रित करती रही है. देखने वाली बात यह होगी की क्या इस बार जनता बदलती हुई इस उद्धव सेना को स्वीकार करेंगे. खासकर जब बीजेपी इस पर कब्जा जमाने की हर कोशिश कर रही है, जोकि राज्य और केंद्र दोनों में ही सत्ता संभाले हुए है. 

क्या कांग्रेस और राकांपा करेंगे उद्धव सेना के साथ गठबंधन ?

वहीं, कांग्रेस और राकांपा दोनों ने उद्धव सेना के साथ गठबंधन करने का वादा किया है, इसे जीतने के लिए, पार्टी को न केवल अपने मराठी वोट बैंक पर पकड़ बनाने की जरूरत है, बल्कि और लोगों को भी जोड़ना होगा. इसी वजह से अब पार्टी ने नया वोट बैंक बनाना शुरू कर दिया है. मराठी वोट बैंक मुंबई में आबादी का लगभग 26-30 प्रतिशत होने का अनुमान है, मुसलमानों की संख्या 14-16 प्रतिशत है. 

एक समय में उग्र हिंदुत्व के लिए जानी जाती थी शिवसेना

कभी अपने उग्र हिंदुत्व के लिए जानी जाने वाली शिवसेना के प्रति मुसलमान नरम हो गए हैं. 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा की सत्ता से इनकार करने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के उद्धव ठाकरे के फैसले ने उस दिशा में एक लंबा सफर तय किया. यही कारण है कि ‘मराठी मुस्लिम सेवा संघ (एमएमएसएस)’ ने उद्धव की बैठक में पार्टी को अपना समर्थन देने की बात कही.