सूरजपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में जय-वीरू की जोड़ी के नाम से पहचाने जाने वाले टीएस सिंहेदव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच सब ठीक नहीं चल रहा है। दोनों के बीच की तल्खी बार-बार सामने आती रही है। अब टीएस सिंहदेव ने कहा है कि वे चुनाव आने तक अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेंगे। अभी कुछ सोचा नहीं है। मजाक में यह भी कह दिया कि अब बात तो रिटायरमेंट की हो रही है। सिंहदेव सोमवार को सूरजपुर पहुंचे थे।
सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने आए स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव से पत्रकारों ने अगले विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल पूछा था। इस पर उन्होंने कहा, अभी उन्होंने कुछ तय नहीं किया है। नई जवाबदेही के संबंध में मजाकिया लहजे में कहा कि, नई जिम्मेदारी की बात हो रही है या रिटायरमेंट की। यह भी कहा कि प्रदेश के 20 हजार गांवों में से सवा सौ गांवों में अभी सड़क नहीं बन सकी है।
सीएम से बढ़ती गई तल्खी
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच ढाई-ढाई साल का चर्चित फार्मूला खटास का मुख्य कारण बना। टीएस सिंहदेव ने सरकार के साढ़े तीन साल गुजर जाने के बाद खुले तौर पर कह दिया था कि कांग्रेस हाईकमान को अब निर्णय ले लेना चाहिए। सिंहदेव ने कभी भी ढाई-ढाई साल के सीएम के फार्मूले को नहीं नकारा। इससे स्पष्ट है कि ऐसा फार्मूला था जरूर, जो अमल में नहीं आया।
कहा था- धैर्य की परीक्षा ली जा रही
दोनों के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई कि 16 जुलाई को सिंहदेव ने पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देते हुए कह दिया था कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस की है। फिलहाल वे कांग्रेस में ही रहेंगे, लेकिन जीवन में कई निर्णय लेने पड़ते हैं। सिंहदेव ने चार पन्नों का इस्तीफा पत्र मुख्यमंत्री के नाम भेजते हुए सीधे तौर पर कह दिया था कि पंचायत विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में जानबूझकर अड़ंगा लगाया जाता रहा है।
2018 विस चुनाव में बड़ी भूमिका में थे टीएस
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सिंहदेव की न सिर्फ अहम भूमिका रही, बल्कि वे कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष भी थे। इसके बाद से उनकी स्थिति कमजोर होती गई। साल 1952 में जन्में टीएस सिंहदेव अब 70 वर्ष के हो चुके हैं। उनके पिता एमएस सिंहदेव अविभाजित मध्ययप्रदेश के मुख्य सचिव व योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे। मां देवेंद्र कुमारी सिंहदेव अर्जुन सिंह और प्रकाश सिंह सेठी मंत्रिमंडल में मंत्री रहीं। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद वे अंबिकापुर से विधायक बनें।
सरगुजा संभाग में कांग्रेस ने यह प्रचार किया कि सरकार बनीं तो टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री होंगे। अब हालात ये हैं कि उन्हें कार्यकर्ताओं से कहना पड़ता है कि सरकार में उनकी नहीं चल रही है। यह सबसे विषम परिस्थिति है। इससे माना जा रहा है कि टीएस सिंहदेव अपने भविष्य को लेकर चुनाव के पूर्व कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं और यह फैसला चौंकाने वाला भी हो सकता है।