छत्तीसगढ़

जिसने भी लगाई सबसे बड़ी बोली, उसकी ही खाली रह गई झोली, हर IPL की एक ही कहानी

नईदिल्ली I आईपीएल का आगाज 2008 में हुआ था और तब से कई खिलाड़ियों पर फ्रेंचाइजियों ने रिकॉर्ड बोली लगाई, मगर इसे बदकिस्‍मती कहें या फिर कुछ और, जिस भी फ्रेंचाइजी ने सीजन की सबसे बड़ी बोली लगाई, वो उस सीजन का खिताब कभी नहीं जीत पाई. इस बार पंजाब किंग्‍स ने सैम करन को इतिहास की सबसे बड़ी 18.50 करोड़ की बोली लगाकर खरीदा.

2008 में चेन्‍नई सुपर किंग्‍स ने एमएस धोनी पर उस सीजन की सबसे बड़ी बोली लगाई थी और 2008 में सीएसके दूसरे स्‍थान पर रहा था. अगले सीजन सबसे बड़ी बोली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और चेन्‍नई ने पीटरसन और फ्लिंटॉफ के लिए और 2010 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने शेन बॉन्‍ड और मुंबई इंडियंन ने कायरन पोलार्ड पर सीजन की सबसे बड़ी बोली लगाई थी.

2011 में केकेआर ने गौतभ गंभीर, 2012 में सीएसके ने रवींद्र जडेजा और 2013 में मुंबई ने ग्‍लेन मैक्‍सवेल के लिए अपनी तिजोरी खोली और 2013 में ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई टीम सीजन की सबसे बड़ी बोली लगाने के बाद विजेता बनी.

इसके बाद एक बार फिर वहीं कहानी शुरू हुई. 2014 और 2015 लगातार 2 सीजन युवराज सिंह पर सबसे बड़ी बोली लगी. इसके बाद 2016 में वॉटसन पर बैंगलोर ने पैसे लुटाए, मगर विजेता का ताज कोई नहीं सजा पाया.

2017 में राइजिंग पुणे जाएंट और 2018 में राजस्‍थान रॉयल्‍स ने बेन स्‍टोक्‍स पर सीजन की सबसे बड़ी बोली लगाई और दोनों की टीम खिताब से चूक गई. 2019 में राजस्‍थान ने जयदेव उनादकट और किंग्‍स इलेवन पंजाब ने वरुण चक्रवर्ती को बड़ी कीमत में खरीदा था.

सीजन की सबसे महंगी खरीदारी करके भी हार झेलने का सिलसिला इसके बाद भी जारी रहा. पैट कमिंस, क्रिस मॉरिस और ईशान किशन की कीमतों ने तो रिकॉर्ड बना दिया था, मगर इन तीनों की ही टीम की उस सीजन हालत खराब ही रही.