छत्तीसगढ़

ताली बजाने वालों के लिए बजीं तालियां: महिलाएं नहीं आईं आगे तो किन्नरों ने ट्रेन में कराया प्रसव

जमुई। ट्रेन की बोगियों में जब किन्नरों का समूह ताली बजाते सामने आता है तो लोग उसे व्यंग्य भरी नजरों से देखते हुए हंसी का पात्र समझते हैं, लेकिन सोमवार की शाम जनशताब्दी एक्सप्रेस में कुछ ऐसा हुआ कि ताली पीटने वाली किन्नरों के लिए तालियां बज उठीं।

दरअसल, इस दौरान किन्नरों की यह टोली ने महिला सह यात्रियों को भी मानवता का आईना दिखाने से नहीं चुकी। सोमवार को हावड़ा-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस पर डी-पांच बोगी में एक महिला यात्रा कर रही थी। वह गर्भवती थी और जसीडीह से ट्रेन खुलते ही उसे प्रसव पीड़ा प्रारंभ हो गई।

उक्त महिला ने डिब्बे में बैठी अन्य महिला यात्रियों से सहयोग की अपेक्षा की; लेकिन उसे निराश होना पड़ा। यह देख ट्रेन में ताली बजाकर पैसा मांग रही किन्नरों ने तत्क्षण महिला को सहारा दिया और बाथरूम में ले जाकर प्रसव कराया। इसके बाद बच्चे को पोंछने से लेकर अन्य कार्य तक निपटा दिया।

इस दौरान किन्नरों ने महिला को रुपये देने की भी पेशकश की। इतना ही नहीं किन्नरों ने पैदा हुए पुत्र को डाक्टर बनने की दुआएं भी दीं। मौके पर उक्त महिला के साथ परिवार के अन्य कोई लोग साथ नहीं थे। इसकी कमी भी आसपास बैठे पुरुष यात्रियों ने पूरी की।

उन सबों ने भी उक्त महिला की भरपूर मदद कर मानवता की मिसाल पेश की और गर्म कपड़े बच्चे को देकर ठंड से उसकी हिफाजत करने में मदद पहुंचाई। इसके पहले किन्नरों की मदद से जच्चा और बच्चा की जान बचने की खबर ट्रेन में जंगल की आग की तरह फैल गई थी। कई लोगों ने इस लम्हे को वीडियो में कैद कर इंटरनेट मीडिया पर वायरल किया है।

हालांकि ट्रेन में बच्चे को जन्म देने वाली इस महिला यात्री की पहचान तो नहीं हो पाई, लेकिन बताया जाता है कि वह हावड़ा से लखीसराय जा रही थी। वहां से उतरकर उसे शेखपुरा जाना था। वह शेखपुरा जिले की ही निवासी बताई जाती है। मदद पहुंचाने वाली किन्नरों की टोली खुद को झाझा के किन्नर सरदार सुमन नायक की शिष्य बता रही थीं। किन्नरों की टोली में शामिल एक ने अपना नाम आंचल किन्नर बताया है।